हमारे विचार में ‘माता का आँचल’ पाठ का शीर्षक ‘माता का आँचल’ सर्वाधिक उपयुक्त शीर्षक है, क्योंकि वह पाठ के कथानक से सबसे अधिक मेल खाता है। फिर भी यदि उसका दूसरा शिक्षक रखना पड़े तो उसका दूसरा शीर्षक माँ की ममता भी हो सकता है अथवा इस कहानी का दूसरा शीर्षक भोलानाथ भी हो सकता है। भले ही शुरु कहानी के शुरुआत में भोलानाथ का अपने पिता के साथ अधिक प्रेम स्नेह का वर्णन किया गया है, उस समय माता का आंचल शीर्षक थोड़ा उपयुक्त नहीं दिखाई दे रहा था। लेकिन जैसे-जैसे कहानी आगे बढ़ी तब शीर्षक की सार्थकता समझ में आने लगी।
भोलानाथ भले ही अपने पिता की छत्रछाया में रहता था और उसका पूरा दिन पिता के साथ ही बीतता था। लेकिन किसी भी संकट की घड़ी में वह अपनी माँ के आंचल में छुप जाता था तो शीर्षक की सार्थकता सिद्ध हो जाती थी। किसी भी बच्चे की स्वाभाविक प्रवृत्ति है कि वह अपनी माता के आँचल में ही अपने को सबसे अधिक सुरक्षित पाता है। भोलानाथ ने भी वही बाल सुलभ प्रवृत्ति का प्रदर्शन किया था।
जहाँ भोलानाथ भय अवस्था में साँप से डरकर माता की गोद में माता के आँचल में छुप जाता है, वही माँ भी उसे वह भी देखकर चिंतित होती है, दुखी होती है। अपने पुत्र की पीड़ा उससे देखी नहीं जाती। इस तरह माँ और पुत्र के बीच वात्सल्यता की पराकाष्ठा देखने को मिलती है। इसलिए माता का आंचल शीर्षक सर्वथा उपयुक्त शीर्षक है। दूसरा शीर्षक ‘माँ की ममता’ भी हो सकता है।
पाठ के बारे में…
‘माता का आँचल’ पाठ शिवपूजन सहाय द्वारा लिखा गया पाठ है, जिसमें उन्होंने भोलानाथ के बचपन के प्रसंग का वर्णन किया है। इस पाठ में भोलानाथ एक बच्चा है जिसका अपने पिता से बेहद लगाव था और वह हर समय अपने पिता के साथ ही रहता था। उसके पिता भी उसे हर समय अपने साथ रखते और उसे घुमाने ले जाते। उसे साथ बिठा कर पूजा करते, लेकिन जब भी कोई दुखद स्थिति आती तो वह अपने माँ के पास ही जाता था। माँ के आँचल की शरण ही लेता था। इसी कारण इस पाठ को ‘माता का आँचल’ भी कहा जाता है
शिवपूजन सहाय हिंदी के जाने-माने लेखक रहे हैं, जिन्होंने अनेक हिंदी कहानियों की रचना की। उनका जन्म अगस्त 1893 में बिहार के शाहाबाद में हुआ था। उनका निधन 21 जनवरी 1963 को पटना में हुआ। उन्होंने अनेक कथा एवं उपन्यासों की रचना की। उन्होंने अनेक पत्र-पत्रिकाओं का संपादन भी किया।
संदर्भ पाठ :
माता का आँचल – शिवपूजन सहाय, (कक्षा – 10, पाठ – 1, कृतिका, भाग -2)
1 thought on “माता का अँचल शीर्षक की उपयुक्तता बताते हुए कोई अन्य शीर्षक सुझाइए।<div class="yasr-vv-stars-title-container"><div class='yasr-stars-title yasr-rater-stars' id='yasr-visitor-votes-readonly-rater-091846eda053b' data-rating='0' data-rater-starsize='16' data-rater-postid='4050' data-rater-readonly='true' data-readonly-attribute='true' ></div><span class='yasr-stars-title-average'>0 (0)</span></div>”