भोलानाथ के खेल और खेलने की सामग्री तथा आज के समय के हमारे खेल और खेलने की सामग्री में बहुत बड़ा अंतर आ चुका है। भोलानाथ और उसके साथी साधारण सी वस्तुओं को ही अपने खेल सामग्री बना लेते थे। यह वस्तुएं उन्हें आंगन व खेतों में पड़ी मिल जाया करती थी। उनके पास तरह-तरह के मिट्टी के बर्तन, पत्थर, घर के कबाड़, वस्तुएं, पेड़ों के पत्ते, गीली मिट्टी आदि साधारण वस्तुएं थीं, जो दूसरों के लिए अनुपयोगी थी, लेकिन उन बच्चों के लिए खेल सामग्री के रूप में उपयोगी हो जाती थी। वह गाँव का सादा सरल जीवन था।
आज के समय में बहुत अंतर आ चुका है आज हमें एक से आधुनिक खेल की वस्तुएं प्राप्त हैं। आज हमारे पास टेनिस, क्रिकेट, फुटबॉल, वीडियो गेम, कंप्यूटर गेम आदि के रूप अत्याधुनिक चीजें हैं, जो कि महंगी आती है। जबकि भोलानाथ और उसके साथी फ्री में ही सारी वस्तुएं जुटा लेते थे, लेकिन उनसे भी जो अपनापन था, जो गाँव की मिट्टी की महक थी, आज की आधुनिक वस्तुओं में नहीं है।
पाठ के बारे में…
‘माता का आँचल’ पाठ शिवपूजन सहाय द्वारा लिखा गया पाठ है, जिसमें उन्होंने भोलानाथ के बचपन के प्रसंग का वर्णन किया है। इस पाठ में भोलानाथ एक बच्चा है जिसका अपने पिता से बेहद लगाव था और वह हर समय अपने पिता के साथ ही रहता था। उसके पिता भी उसे हर समय अपने साथ रखते और उसे घुमाने ले जाते। उसे साथ बिठा कर पूजा करते, लेकिन जब भी कोई दुखद स्थिति आती तो वह अपने माँ के पास ही जाता था। माँ के आँचल की शरण ही लेता था। इसी कारण इस पाठ को ‘माता का आँचल’ भी कहा जाता है ।
शिवपूजन सहाय हिंदी के जाने-माने लेखक रहे हैं, जिन्होंने अनेक हिंदी कहानियों की रचना की। उनका जन्म अगस्त 1893 में बिहार के शाहाबाद में हुआ था। उनका निधन 21 जनवरी 1963 को पटना में हुआ। उन्होंने अनेक कथा एवं उपन्यासों की रचना की। उन्होंने अनेक पत्र-पत्रिकाओं का संपादन भी किया।
संदर्भ पाठ :
माता का आँचल – शिवपूजन सहाय, (कक्षा – 10, पाठ – 1, कृतिका, भाग -2)
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