प्रस्तुत पाठ के आधार पर यह कहा जा सकता है कि बच्चे का अपने पिता से अधिक जुड़ाव था, फिर भी विपदा के समय वह पिता के पास न जाकर माँ की शरण लेता है। आपकी समझ से इसकी क्या वजह हो सकती है?


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प्रस्तुत पाठ के आधार पर अगर हम कहें तो यह कहा जा सकता है कि पिता से अधिक जुड़ाव होने के बावजूद भी विपदा समय बच्चा अपने पिता के पास ना जाकर माँ की शरण लेता था, तो इसका मुख्य कारण यह था कि बच्चे का अपनी माता से ममता भरा रिश्ता होता है। वह अपने माता की आंचल की छांव में ही स्वयं को सुरक्षित पाता है।
पिता से भले ही उसे कितना भी प्रेम हो लेकिन उसे सच्चा आत्मीय सुख उसे अपने माता के आँचल की छांव में ही प्राप्त होता है। इसीलिए यह मानवीय स्वभाव एक प्रवृत्ति है। इसीलिए भोलानाथ का अपने पिता से परम स्नेह होना और हर समय अपने पिता के पास रहने के कारण भी जब भी कोई विपदा की स्थिति आती तो वह अपनी माँ के पास ही जाता था, क्योंकि उसे अपने माता के आंचल की छांव में ही सुरक्षा महसूस होती थी। शायद उसे अपने पिता के पास वह सुरक्षा का अनुभव नहीं हो पाता हो। माता का आँचल उसे ज्यादा सुरक्षित लगता था। यही कारण है कि इस पाठ का नाम भी ‘माता का आँचल’ रखा गया।

पाठ के बारे में…

‘माता का आँचल’ पाठ शिवपूजन सहाय द्वारा लिखा गया पाठ है, जिसमें उन्होंने भोलानाथ के बचपन के प्रसंग का वर्णन किया है। इस पाठ में भोलानाथ एक बच्चा है जिसका अपने पिता से बेहद लगाव था और वह हर समय अपने पिता के साथ ही रहता था। उसके पिता भी उसे हर समय अपने साथ रखते और उसे घुमाने ले जाते। उसे साथ बिठा कर पूजा करते, लेकिन जब भी कोई दुखद स्थिति आती तो वह अपने माँ के पास ही जाता था। माँ के आँचल की शरण ही लेता था। इसी कारण इस पाठ को ‘माता का आँचल’ भी कहा जाता है
शिवपूजन सहाय हिंदी के जाने-माने लेखक रहे हैं, जिन्होंने अनेक हिंदी कहानियों की रचना की। उनका जन्म अगस्त 1993 में बिहार के शाहाबाद में हुआ था। उनका निधन 21 जनवरी 1963 को पटना में हुआ। उन्होंने अनेक कथा एवं उपन्यासों की रचना की। उन्होंने अनेक पत्र-पत्रिकाओं का संपादन भी किया।

संदर्भ पाठ :

माता का आँचल – शिवपूजन सहाय, (कक्षा – 10, पाठ – 1, कृतिका, भाग -2)

 

हमारे अन्य प्रश्न उत्तर :

आपके विचार से भोलनाथ अपने साथियों को देखकर सिसकना क्यों भूल जाता है?

आपने देखा होगा कि भोलानाथ और उसके साथी जब−तब खेलते−खाते समय किसी न किसी प्रकार की तुकबंदी करते हैं। आपको यदि अपने खेलों आदि से जुड़ी तुकबंदी याद हो तो लिखिए।

 

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