पठित पाठ के आधार पर विद्यापति के काव्य में प्रयुक्त भाषा की पाँच विशेषताएँ उदाहरण सहित लिखिए।


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पठित पाठ के आधार पर विद्यापति के काव्य की पांच विशेषताएं इस प्रकार हैं…

विद्यापति ने अपने काव्य में अलंकारों का अति सुंदर रूप से प्रयोग किया है।
जैसे, तोहर बिरह दिन छन-छन तुन छिन-चौदसि-चाँद समान।

इस पंक्ति में उन्होंने ‘छन-छन’ के माध्यम से ‘विप्सा अलंकार’ का प्रयोग किया है, तो ‘चाँद समान’ में ‘उपमा अलंकार’ तथा ‘चौदसि चाँद’ में अनुप्रास अलंकार की छटा बिखेरी है। ‘वियोग श्रृंगार अलंकार’ का भी अपने पूरे काव्य में विद्यापति ने सुंदर दम प्रयोग किया है।
विद्यापति ने अपने काव्य में तद्भव शब्दों का भी सुंदरता प्रयोग किया है, जैसे निहारत, साओन, तोहारा, तिरुपित इत्यादि।
विद्यापति के काव्य की भाषा मैथिली है, जो मिथिलांचल की लोकप्रिय भाषा है।
उनकी भाषा में लौकिक प्रेम की अभिव्यक्ति प्रकट होती है।

पाठ के बारे में…

इस पाठ में कवि विद्यापति के 3 पद प्रस्तुत किए गए हैं।
पहले पद में नायिका जोकि विरहिणी के रूप में है, उसके हृदय के उद्गारों को प्रकट किया गया है। दूसरे पद में प्रियतमा रूपी नायिका अपनी सखी से अपने प्रियतम के विषय में बातचीत कर रही है। तीसरे पद में विरहिणी रूपी प्रियतमा यानी नायिका का दुख भरा चित्रण प्रस्तुत किया गया है जो अपने प्रियतम के वियोग में तड़प रही है।
विद्यापति हिंदी साहित्य के चौदहवीं एवं पंद्रहवीं शताब्दी के प्रसिद्ध कवि रहे हैं। वह आदिकाल और भक्तिकाल के संधि कवि कहे जाते हैं। उनका जन्म बिहार के मधुबनी के बिस्पी गाँव में सन् 1380 ईस्वी में हुआ था। बिहार के मिथिला क्षेत्र के लोक अंचलों में वह बेहद प्रसिद्ध कवि रहे हैं और उनके पदों को बड़ी तन्मयता से गाया जाता रहा है। उनकी महत्वपूर्ण कृतियों में कीर्तिलता, कीर्तिपताका, भू-परिक्रमा, पुरुष समीक्षा, लिखनावली और पदावली के नाम प्रमुख हैं। उनका निधन 1460 ईस्वी में हुआ।

संदर्भ पाठ :

विद्यापति – पद, (कक्षा – 12, पाठ – 9, हिंदी, अंतरा)

 

हमारे अन्य प्रश्न उत्तर :

निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए- (क) एकसरि भवन पिआ बिनु रे मोहि रहलो न जाए। सखि अनकर दुख दारुन रे जग के पतिआए। (ख) जनम अवधि हम रूप निहारल नयन न तिरपित भेल।। सेहो मधुर बोल स्रवनहि सूनल स्रुति पथ परस न गेल।। (ग) कुसुमित कानन हेरि कमलमुखि, मूदि रहए दु नयान। कोकिल-कलरव, मधुकर-धुनि सुनि, कर देइ झाँपइ कान।।

निम्नलिखित शब्दों के तत्सम रूप लिखिए– ‘तिरपित, छन, बिदगध, निहारल, पिरित, साओन, अपजस, छिन, तोहारा, कातिक

 

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