वृक्ष से पत्तियां तथा वनों से ढाँखें फागुन के माह में गिरते हैं। विरहिणी का इस माह से बहुत ही गहरा संबंध होता है, क्योंकि यह माह ग्रहणी के लिए बेहद दुख प्रदान करने वाला बन जाता है। जब फागुन के माह में वृक्षों से पत्तियां और वृक्षों से ढाँखें गिर रहे होते हैं, तो विरहिणी चारों तरफ गिरती हुई पत्तियों को देखकर निराश हो जाती है। उसे अपनी भी आशाएं टूटती हुई दिखाई पड़ती हैं। हर गिरते पत्ते में उसे अपने मन की आशा धूमिल होती दिखाई दे रही है। उसे आशा थी कि उसके प्रियतम शीघ्र ही आएंगे और उसके विरह खत्म होगा। लेकिन पीले पत्ते देखकर वह निराश हो रही है।
जिस तरह पत्ते अपनी आयु पूरी होने पर गिर जाते हैं उसी तरह अपने प्रियतम के वियोग में जल रही नायिका का भी रंग पीला पड़ गया है। इस तरह अपनी तुलना पत्तों से करके अपने दुख को बढ़ा रही है। उसका दुख शांत होने की जगह बढ़ता ही जा रहा है।
पाठ के बारे में…
यह पाठ मलिक मोहम्मद जायसी की प्रसिद्ध रचना ‘पद्मावत’ के ‘बारहमासा’ पदों से संबंधित है। इस पाठ में बारहमासा पदों में नायिका नागमती के विरह का वर्णन किया गया है। कवि शीत ऋतु में और अगहन और पूस मास में नायिका की विरह दशा का चित्रण किया है।
मलिक मोहम्मद जायसी सोलहवीं शताब्दी के एक प्रसिद्ध सूफी कवि थे, जो सूफी प्रेम मार्गी शाखा के कवि थे। उनका सर्वश्रेष्ठ ग्रंथ ‘पद्मावत’ था, जो उन्होंने रानी पद्मावती और राजा रत्नसेन के प्रेम प्रसंग पर आधारित करके लिखा था।
संदर्भ पाठ :
मलिक मुहम्मद जायसी, बारहमासा (कक्षा – 12, पाठ – 8, अंतरा)
हमारे अन्य प्रश्न उत्तर :
माघ महीने में विरहिणी को क्या अनुभूति होती है?
‘जीयत खाइ मुएँ नहिं छाँड़ा’ पंक्ति के संदर्भ में नायिका की विरह-दशा का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
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1 thought on “वृक्षों से पत्तियाँ तथा वनों से ढाँखें किस माह में गिरते हैं? इससे विरहिणी का क्या संबंध है?<div class="yasr-vv-stars-title-container"><div class='yasr-stars-title yasr-rater-stars' id='yasr-visitor-votes-readonly-rater-a071452a0a586' data-rating='0' data-rater-starsize='16' data-rater-postid='3970' data-rater-readonly='true' data-readonly-attribute='true' ></div><span class='yasr-stars-title-average'>0 (0)</span></div>”