भाव स्पष्ट कीजिए − सहानुभूति चाहिए, महाविभूति है यही; वशीकृता सदैव है बनी हुई स्वयं मही। विरुद्धवाद बुद्ध का दया-प्रवाह में बहा, विनीत लोकवर्ग क्या न सामने झुका रहा?


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भाव स्पष्ट कीजिए −

सहानुभूति चाहिए, महाविभूति है यही;
वशीकृता सदैव है बनी हुई स्वयं मही।
विरुद्धवाद बुद्ध का दया-प्रवाह में बहा,
विनीत लोकवर्ग क्या न सामने झुका रहा?

भाव : मैथिलीशरण गुप्त की ‘मनुष्यता’ नामक कविता की इन पंक्तियों के माध्यम से कवि ने मनुष्य को एक दूसरे के प्रति सहानुभूति की भावना रखने के लिए कहा है। कवि के अनुसार सहानुभूति, दया एवं करुणा से बढ़कर कोई भी धन नहीं होता। कवि मनुष्य के अंदर दूसरों के प्रति प्रेम है, सहानुभूति है, करुणा है, दया है, तो वह इस पूरे संसार को अपने वश में कर सकता है। जो व्यक्ति उदार होता है, विनम्र होता है, दया, प्रेम एवं करुणा से भरा होता है, वह इस संसार में सबके सम्मान का पात्र बनता है।
इस संसार में जितने भी महान व्यक्ति हुए हैं, उन्होंने इन सभी गुणों को अपनाया और महान बने, जिन्हें आज भी संसार याद करता है। महात्मा बुद्ध के विचारों का आरंभ में बेहद विरोध हुआ था, लेकिन महात्मा बुद्ध ने अपनी प्रेम दया एवं करुणा से सबके हृदय को बदल दिया और सब उनके आगे झुक गए। उसी प्रकार अन्य महापुरुषों ने भी अपने अपने सामाजिक कार्यों से इस संसार में सबके हृदय को जीता और नए-नए आदर्श स्थापित किए।
कवि कहते हैं कि मनुष्य मनुष्यता से भरा हुआ रहेगा, वह विनम्र रहेगा, सबके प्रति उधार रहेगा तो सारा संसार उसके सामने झुकेगा। सदैव दूसरों का हित सोचने वाले परोपकारी मनुष्य को सब सम्मान करते हैं।

पाठ के बारे में….

यह पाठ कवि ‘मैथिली शरण गुप्त’ द्वारा रची गई ‘मनुष्यता’ नामक कविता के बारे में है। इस पाठ में मैथिलीशरण गुप्त की ‘मनुष्यता’ कविता को प्रस्तुत किया गया है। ‘मनुष्यता’ कविता के माध्यम से कवि ने मनुष्य को अच्छे कार्य करने के लिए प्रेरित किया है। कवि मनुष्य को मनुष्यता का भाव अपनाने की प्रेरणा देते हैं और चाहते हैं कि मनुष्य ऐसा जीवन जिए, ऐसे अच्छे कार्य करके जाए कि लोग मरने के बाद भी उसे याद रखें। अपने लिए तो सभी जीते हैं, जो लोग दूसरों के लिए जीते हैं वही महान कहलाते हैं। उन्हें ही लोग याद रखते हैं।’मैथिलीशरण गुप्त’ जिन्हें ‘राष्ट्र कवि’ की उपाधि से विभूषित किया गया है। वह हिंदी साहित्य जगत के अनमोल कवि थे। उनका जन्म 1886 में झांसी के चिरगांव में हुआ था। हिंदी खड़ी बोली पर उनकी गहरी पकड़ थी। उनकी कविताओं में संस्कृतनिष्ठ हिंदी का गहरा प्रभाव दिखाई पड़ता है।
साकेत, यशोधरा जैसी उनकी कालजयी कृतियां है। उनका 1964 में हुआ था।

संदर्भ पाठ :

मैथिलीशरण गुप्त, मनुष्यता (कविता) (कक्षा – 10 पाठ – 4, स्पर्श)

 

हमारे अन्य प्रश्न उत्तर :

‘मनुष्यता’ कविता के माध्यम से कवि क्या संदेश देना चाहता है?

व्यक्ति को किस प्रकार का जीवन व्यतीत करना चाहिए? इस कविता के आधार पर लिखिए।

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