कवि ने ऐसी मृत्यु को सुमृत्यु कहा है, जिस मृत्यु के बाद भी लोग उस व्यक्ति को याद रखें। कवि के अनुसार दुनिया में ऐसे लोग बहुत कम होते हैं, जो कुछ ऐसा अच्छा कार्य कर जाते हैं कि लोग उसकी मृत्यु के बाद भी उसे हमेशा याद करते हैं। अपने लिए तो सभी जीते हैं, लेकिन जो लोग दूसरों के लिए जीते हैं, जो इस अपने स्वार्थ को त्याग करके परमार्थ के लिए अपना जीवन अर्पण कर देते हैं, ऐसे लोगों की मृत्यु के बाद भी लोग उनको हमेशा याद रखते हैं। ऐसे लोगों की मृत्यु ही सुमृत्यु है। इसलिए जीवन में सदैव अच्छे कार्य करो, जिससे मरने के बाद भी लोग याद रखें।
पाठ के बारे में….
यह पाठ कवि ‘मैथिली शरण गुप्त’ द्वारा रची गई ‘मनुष्यता’ नामक कविता के बारे में है। इस पाठ में मैथिलीशरण गुप्त की ‘मनुष्यता’ कविता को प्रस्तुत किया गया है। ‘मनुष्यता’ कविता के माध्यम से कवि ने मनुष्य को अच्छे कार्य करने के लिए प्रेरित किया है। कवि मनुष्य को मनुष्यता का भाव अपनाने की प्रेरणा देते हैं और चाहते हैं कि मनुष्य ऐसा जीवन जिए, ऐसे अच्छे कार्य करके जाए कि लोग मरने के बाद भी उसे याद रखें। अपने लिए तो सभी जीते हैं, जो लोग दूसरों के लिए जीते हैं वही महान कहलाते हैं। उन्हें ही लोग याद रखते हैं।’मैथिलीशरण गुप्त’ जिन्हें ‘राष्ट्र कवि’ की उपाधि से विभूषित किया गया है। वह हिंदी साहित्य जगत के अनमोल कवि थे। उनका जन्म 1886 में झांसी के चिरगांव में हुआ था। हिंदी खड़ी बोली पर उनकी गहरी पकड़ थी। उनकी कविताओं में संस्कृतनिष्ठ हिंदी का गहरा प्रभाव दिखाई पड़ता है।
साकेत, यशोधरा जैसी उनकी कालजयी कृतियां है। उनका निधन 1964 में हुआ था।
संदर्भ पाठ :
मैथिलीशरण गुप्त, मनुष्यता (कविता) (कक्षा – 10 पाठ – 4, स्पर्श)
हमारे अन्य प्रश्न उत्तर :
कवि ने दधीचि कर्ण, आदि महान व्यक्तियों का उदाहरण देकर मनुष्यता के लिए क्या संदेश दिया है?
उदार व्यक्ति की पहचान कैसे हो सकती है?
हमारी सहयोगी वेबसाइटें..