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बिहारी कवि ने सभी की उपस्थिति में भी कैसे बात की जा सकती है, इसका वर्णन किस प्रकार किया है? अपने शब्दों में लिखिए।
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कक्षा-10 पाठ-3 हिंदी, कक्षा-10 पाठ-3 हिंदी स्पर्श, बिहारी, बिहारी के दोहे

कवि बिहारी ने बताया है कि सभी की उपस्थिति में भी इशारों ही इशारों में बात की जा सकती है और बिना बोले ही अपने मन की बात कही जा सकती है। कवि के नायक और नायिका सभी की उपस्थिति में इशारों ही इशारों में अपने मन की बात कर रहे हैं। नायक सभी की उपस्थिति में ही नायका को कुछ इशारे करता है और नायिका इशारे ही इशारे में मना करती है। इस पर नायक नायिका की इस शैली पर रीझ उठता है। नायक की इस हरकत पर नायिका खीझ उठती है। नायक और नायिका के नेत्र मिले और नायक के मन में प्रसन्नता हुई, वही नायिका लज्जा आँखों में लज्जा के भाव लिए हुए थी। इस तरह सभी की उपस्थिति में ही बिना बोले ही इशारों ही इशारों में बात की जा सकती है, ये कवि बिहारी ने स्पष्ट किया है।

पाठ के बारे में….

इस पाठ में कवि बिहारी के नीतिगत और श्रंगारपरक दोहे दिए गए हैं। कवि बिहारी श्रृंगारपरक दोहों की रचना के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने अनेक श्रृंगारपरक दोहों की रचना की थी।। इसके अलावा उन्होंने लोक ज्ञान,  शास्त्र ज्ञान पर आधारित नीति के दोहे भी रचे हैं, जिनके माध्यम से उन्होंने नीति संबंधी बातें कहीं हैं। प्रस्तुत दोहे उनके नीति वचनों पर आधारित दोहों और श्रंगारपरक दोहों का मिश्रण है।कवि ‘बिहारी’ सोलहवी-सत्रहवीं शताब्दी के प्रसिद्ध हिंदी कवि थे, जिनका जन्म सन् 1595 में ग्वालियर में हुआ था। उनके गुरु आचार्य केशवदास थे। वह रसिक स्वभाव के कवि थे, इसलिये उन्होंने अनेक श्रंगार युक्त पदों की रचना की है। उनके दोहों में ब्रजभाषा और बुंदेलखंडी भाषा का प्रभाव देखने को मिलता है।
उनके द्वारा रचित ग्रंथ एकमात्र ग्रंथ का नाम ‘बिहारी सतसई’ है, जिसमें 700 दोहों का संकलन है। उनका निधन सन् 1663 में हुआ।

संदर्भ पाठ :

बिहारी,  बिहारी के दोहे (कक्षा – 10, पाठ – 3, स्पर्श)

 

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