कवि बिहारी के अनुसार छाया भी तक छाया ढूंढने लगती है, जब जेठ के महीने में बड़ी तेज धूप होती है। जेठ महीने की यह तेज धूप सर पर इस प्रकार तेजी से पड़ने लगती है कि मनुष्य के शरीर की छाया या अन्य वस्तुओं की छाया भी छोटी होती जाती है। तब जेठ की भीषण गर्मी वाली उस दुपहरी में छाया भी छाया ढूंढने लगती है।
पाठ के बारे में….
इस पाठ में कवि बिहारी के नीतिगत दोहे बताए गए हैं। कवि बिहारी श्रृंगार परक रचना के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने अनेक श्रृंगार दोहों की रचना की। इसके अलावा उन्होंने लोक ज्ञान, शास्त्र ज्ञान पर आधारित नीति के दोहे भी रचे हैं, जिनके माध्यम से उन्होंने नीति संबंधी बातें कहीं हैं। यह दोहे ऐसे ही नीति वचनों पर आधारित दोहे हैं।
कवि ‘बिहारी’ सोलहवी-सत्रहवीं शताब्दी के प्रसिद्ध हिंदी कवि थे, जिनका जन्म सन् 1595 में ग्वालियर में हुआ था। उनके गुरु आचार्य केशवदास थे। वह रसिक स्वभाव के कवि थे, इसलिये उन्होंने अनेक श्रंगार युक्त पदों की रचना की है। उनकी दोहों में ब्रजभाषा और बुंदेलखंडी भाषा का प्रभाव देखने को मिलता है।
उनके द्वारा रचित ग्रंथ का एकमात्र रचित ग्रंथ का नाम ‘बिहारी सतसई’ है, जिसमें 700 दोहों का संकलन है। उनका निधन 1663 में हुआ।
संदर्भ पाठ :
बिहारी, बिहारी के दोहे (कक्षा – 10, पाठ – 3, स्पर्श)
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