कवि ने कठपुतली को प्रतीक के रूप में इसलिए लिया है, ताकि वह कठपुतली के माध्यम से आम आदमी की व्यथा को बता सके। कवि ने कठपुतली के माध्यम से उन आम आदमी की व्यथा को बताने का प्रयत्न किया है, जो किसी ना किसी बंधन में जकड़े हुए हैं।
आजादी हर किसी मनुष्य के लिए सबसे महत्वपूर्ण है। आजादी के आगे सब कुछ तुच्छ है। कवि के अनुसार जिस तरह कठपुतलियां धागों के माध्यम से पराधीनता के बंधन में जकड़ी हुई हैं। उसी तरह मनुष्य अपने जीवन में अनेक तरह के सामाजिक, पारिवारिक, आर्थिक बंधनों में जकड़ा हुआ होता है। जिस कारण वह स्वच्छंद भाव से अपना जीवन नहीं जी पाता। जिस तरह की कठपुलती के हाथ पैरों में बंधे धागे मर्जी के बिना धागे उन्हें मचाते रहते हैं। उसी तरह मनुष्य अपने मर्जी के बिना अपने परिस्थितियों के वश में वह सब करने को मजबूर हो जाता है, जो वो करना नहीं चाहता।
इसीलिए कवि ने कठपुतलियों को सामान्य जन का प्रतीक बनाकर मनुष्य को अपने सारे बंधन तोड़ देने के लिए प्रेरित किया है, ताकि वह स्वच्छंद भाव से सके और अपनी स्वतंत्रता को बनाए रख सके।
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