प्रेमचंद ने अपनी कहानी शतरंज के खिलाड़ी के माध्यम से नेतृत्वशील वर्ग को यह संदेश देने का प्रयास किया है कि विलासिता में डूब कर अपने नेतृत्व करने के कर्तव्य को नहीं भूलना चाहिए। यदि किसी राज्य या रियासत का नेतृत्व करने का अवसर प्राप्त हुआ है तो अपने कर्तव्य को पूरी तरह निर्वाह करना चाहिए। विलासिता में डूब कर नेतृत्व करने का जो अवसर प्राप्त हुआ है, वह अवसर हाथ से जा सकता है।
जिस प्रकार शतरंज के खिलाड़ी कहानी में वाजिद अली शाह को अंग्रेजों ने बंदी बना लिया। इसका कारण मुख्य ये था कि नवाब सहित पूरी लखनऊ रियासत के सभी लोग विलासिता में ही डूबे हुए थे। किसी को अपनी राज्य को अंग्रेजों से सुरक्षा करने की परवाह नहीं की। वह सब भोग-विलास करने में इतने डूबे थे कि अंग्रेजों कब से धीरे-धीरे उनके राज्य पर कब्जा करने की योजना बना रहे थे, उन्हें पता ही नहीं चला। विलासिता भोग विलास ने उनके शरीर को इतना अकर्मण्य बना दिया था कि वह अंग्रेजों का मुकाबला करने योग्य नहीं रहे।
प्रेमचंद ने नेतृत्व को इस कहानी के माध्यम से यही संदेश देने की कोशिश की है कि भोग विलास ऐसे विकार हैं जो शरीर को घुन की तरह चाट जाते हैं और अपने कर्तव्य से विमुख कर देते हैं।
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