उदाहरण के आधार पर पाठ में आए निम्नलिखित शब्दों के प्रचलित रुप लिखिए- उदाहरण − भीर − पीड़ा/कष्ट/दुख; री − की चीर_______ बूढ़ता ________ धर्यो _______ लगास्यूँ _______ कुण्जर ________ घणा ________ बिन्दरावन _______ सरसी ________रहस्यूँ …………… हिवड़ा …………… राखो …………… कुसुम्बी ……………

उदाहरण के आधार पर पाठ में आए निम्नलिखित शब्दों के प्रचलित रुप लिखिए-
उदाहरण − भीर − पीड़ा/कष्ट/दुख; री − की
चीर_______ बूढ़ता ________
धर्यो _______ लगास्यूँ _______
कुण्जर ________ घणा ________
बिन्दरावन _______ सरसी ________
रहस्यूँ …………… हिवड़ा ……………
राखो …………… कुसुम्बी ……………

उदाहरण के आधार पर पाठ में आए शब्दों के प्रचलित रुप इस प्रकार होंगे :

उदाहरण − भीर − पीड़ा/कष्ट/दुख; री − की
चीर : वस्त्र
बूढ़ता : डूबता
धर्यो : रखना
लगास्यूँ  : लगाना
कुण्जर : हाथी
घणा : बहुत
बिन्दरावन : वृंदावन
सरसी  : अच्छी
रहस्यूँ  :  रहना
हिवड़ा  : हृदय
राखो  : रखना
कुसुम्बी  : लाल अथवा केसरिया

पाठ के बारे…

इस पाठ में मीरा के पदों की व्याख्या की गई है। मीराबाई भक्ति काल की एक प्रमुख संत कवयित्री वही हैं, जो कृष्ण के प्रति अपनी अन्यतम भक्ति के लिए जानी जाती है। उन्होंने अपना पूरा जीवन कृष्ण की भक्ति में ही समर्पित कर दिया था। वह कृष्ण को अपना प्रियतम मानती थी और अपने पति की मृत्यु के बाद उन्होंने अपना शेष जीवन श्रीकृष्ण की आराधना में व्यतीत कर दिया। उन्होंने अनेक पदों की रचना की जो मीराबाई के पदों के नाम से प्रसिद्ध है।

संदर्भ पाठ :

मीरा – पद (कक्षा – 10, पाठ – 2, हिंदी, स्पर्श)

 

पाठ के संबंधित प्रश्न उत्तर :

निम्नलिखित पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए। 1. हरि आप हरो जन री भीर। द्रोपदी री लाज राखी, आप बढ़ायो चीर। भगत कारण रुप नरहरि, धर्यो आप सरीर। 2. बूढ़तो गजराज राख्यो, काटी कुण्जर पीर। दासी मीराँ लाल गिरधर, हरो म्हारी भीर। 3. चाकरी में दरसण पास्यूँ, सुमरण पास्यूँ खरची। भाव भगती जागीरी पास्यूँ, तीनूं बाताँ सरसी।

मीरा श्रीकृष्ण को पाने के लिए क्या-क्या कार्य करने को तैयार हैं?

 

इस पाठ के सभी प्रश्न उत्तर एक साथ पाने के लिए इस लिंक पार जाएं…

पद : मीारा (कक्षा-10 पाठ-2 हिंदी स्पर्श)

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