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‘महीं सकल अनरथ कर मूला’ पंक्ति द्वारा भरत के विचारों-भावों का स्पष्टीकरण कीजिए।
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कक्षा-12 पाठ-7 अंतरा, कक्षा-12 पाठ-7 हिंदी, तुलसीदास, भरत-राम का प्रेम/पद

‘महीं सकल अनरथ कर मूला’ इस पंक्ति द्वारा भरत अपना पक्ष रख रहे हैं और अपने दृष्टिकोण को प्रस्तुत कर रहे हैं।
भरत के अनुसार उनके पिता, माता, भाई, राज्य और उनसे संबंधित जो भी घटनाक्रम घटा, जो भी अनर्थ हुआ, उसका कारण वह ही हैं। सभी घटनाओं के मूल में वे ही है, उनके कारण ही इस प्रकार की सारी घटनाएं घटी। इसी कारण वह स्वयं को दोषी मान रहे हैं।
भरत का मानना है कि यदि वह नहीं होते तो उनकी माता के के उनके मोह में आकर उनके पिता दशरथ से उनके बड़े भाई श्री राम के लिए 14 वर्ष का वनवास की नहीं मांगती ताकि उनका पुत्र भरत अयोध्या के सिंहासन पर बैठ सके।
यह सब उनकी माता कैकई का उनके प्रति पुत्र मोह के कारण हुआ, इसीलिए वह सारी घटना का मूल दोषी स्वयं को मानकर दुखी हो रहे हैं। उनके मन में अपनी माता आदि के लिए किसी तरह की दुर्भावना नहीं है। सारी घटनाओं के लिए स्वयं को दोषी मानकर एक तरह से उन्होंने अप्रत्यक्ष रूप से अपनी माता कैकई को क्षमा कर दिया है।

पाठ के बारे में..

इस पाठ में तुलसीदास के पदों की व्याख्या की गई है। तुलसी दास ने ‘भरत राम का प्रेम’ पद के माध्यम से श्रीराम के अपने छोटे भाइयों के प्रति स्नेह को वर्णित किया है, कि किस प्रकार अपने छोटे भाइयों को प्रसन्न रखने के लिए श्रीराम जानबूझकर खेल खेल में हार जाते हैं।
दूसरे ‘पद’ में श्रीराम की अपनी माताओं के प्रति सकारात्मक सोच को दर्शाया गया है।

संदर्भ पाठ :

तुलसीदास – भरत-राम का प्रेम/पद (कक्षा – 12, पाठ – 7, हिंंदी – अंतरा)

 

इस पाठ के अन्य प्रश्न उत्तर :

आज के संदर्भ में राम और भरत जैसा भातृप्रेम क्या संभव है? अपनी राय लिखिए।

भरत के त्याग और समर्पण के अन्य प्रसंगों को जानिए।

‘महानता लाभलोभ से मुक्ति तथा समर्पण त्याग से हासिल होता है’ को केंद्र में रखकर इस कथन की पुष्टि कीजिए।

पाठ के किन्हीं चार स्थानों पर अनुप्रास के स्वाभाविक एवं सहज प्रयोग हुए हैं उन्हें छाँटकर लिखिए?

पठित पदों के आधार पर सिद्ध कीजिए कि तुलसीदास का भाषा पर पूरा अधिकार था?

(क) पाठ में से उपमा अलंकार के दो उदाहरण छाँटिए। (ख) पाठ में उत्प्रेक्षा अलंकार का प्रयोग कहाँ और क्यों किया गया है? उदाहरण सहित उल्लेख कीजिए।

गीतावली से संकलित पद ‘राघौ एक बार फिरि आवौ’ मैं निहित करुणा और संदेश को अपने शब्दों में स्पष्ट कीजिए।

‘रहि चकि चित्रलिखी सी’ पंक्ति का मर्म अपने शब्दों में स्पष्ट कीजिए।

राम के वन-गमन के बाद उनकी वस्तुओं को देखकर माँ कौशल्या कैसा अनुभव करती हैं? अपने शब्दों में स्पष्ट कीजिए।

‘फरइ कि कोदव बालि सुसाली। मुकुता प्रसव कि संबुक काली’। पंक्ति में छिपे भाव और शिल्प सौंदर्य को स्पष्ट कीजिए।

राम के प्रति अपने श्रद्धाभाव को भरत किस प्रकार प्रकट करते हैं, स्पष्ट कीजिए।

भरत का आत्म परिताप उनके चरित्र के किस उज्जवल पक्ष की ओर संकेत करता है?

‘मैं जानउँ निज नाथ सुभाऊ’ में राम के स्वभाव की किन विशेषताओं की ओर संकेत किया गया है?

‘हारेंहु खेल जितावहिं मोही’ भरत के इस कथन का क्या आशय है?

 

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