पाठ में आए निम्नलिखित शब्दों के प्रचलित रुप उदाहरण के अनुसार लिखिए।
उदाहरण − जिवै – जीना
औरन, माँहि, देख्या, भुवंगम, नेड़ा, आँगणि, साबण, मुवा, पीव, जालौं, तास।
निम्नलिखित शब्दों के प्रचलित रूप इस प्रकार होंगे :
जीवा : जीना
औरन : औरों को
माँहि : के अंदर
देख्या : देखा
भुवंगम : साँप
नेड़ा : पास
आँगणि : आँगन
साबण : साबुन
मुवा : मुआ, नालायक
पीव : प्रेम
जालौं : जलना
तास : उसका
पाठ के बारे में…
इस पाठ में कबीर की साखी के माध्यम से अनेक नीति वचन कहे गए हैं। साखी शब्द का अर्थ होता है, साक्षी।
साखी शब्द का तद्भव रूप है, जो किसी बात का साक्ष्य यानि प्रमाण है।
साक्षी शब्द का प्रत्यक्ष सार्थक अर्थ होता है, प्रत्यक्ष ज्ञान। वह प्रत्यक्ष ज्ञान जो गुरु अपने शिष्य को प्रदान करता है।
साखी एक दोहा छंद है और कबीर के अधिकांश दोहे साखी के नाम से ही प्रसिद्ध है।कबीर भक्तिकालीन युग निर्गुण विचारधारा के प्रसिद्ध संत कवि रहे हैं, जो चौदहवीं शताब्दी में जन्मे थे। उन्होंने ईश्वर के निराकार रूप की आराधना पर जोर दिया है, और समाज में फैली कुरीतियों और धार्मिक आडंबरों पर तीखा प्रहार किया है।
संदर्भ पाठ :
‘कबीर’ साखी (कक्षा – 10, पाठ-1, स्पर्श)
इस पाठ के दूसरे प्रश्न उत्तर :
‘ऐकै अषिर पीव का, पढ़ै सु पंडित होई’ −इस पंक्ति द्वारा कवि क्या कहना चाहता है?
अपने स्वभाव को निर्मल रखने के लिए कबीर ने क्या उपाय सुझाया है?
ईश्वर कण-कण में व्याप्त है, पर हम उसे क्यों नहीं देख पाते?
मीठी वाणी बोलने से औरों को सुख और अपने तन को शीतलता कैसे प्राप्त होती है?