कविता का इन पंक्तियों में झूठे बंधन से कवि का अभिप्राय यह है कि मनुष्य के जीवन में जो विघ्न बाधा निराशा रूपी बातें उत्पन्न होती हैं, वे उसे लक्ष्य प्राप्ति के मार्ग से विचलित करती हैं। यह विघ्न बाधा ही उसे आगे बढ़ने से रोकती हैं और उसके मन को पत्थर एवं चट्टानों की तरह बंजर बना देती है। यदि मनुष्य अपने मन में व्याप्त इन झूठे बंधनों यानी इन विघ्न रूपी, बाधा रूपी, निराशा रूपी बंधनों से मुक्ति पा लें उन चट्टानों की तरह तोड़ दे और अपने अंदर सृजन शक्ति को विकसित करें तो वह आगे बढ़ सकता है।
धरती को जानने से कवि का अभिप्राय यह है कि धरती में उपजाऊ शक्ति होती है, जिसके माध्यम से है बीज को पोषति करके अन्न उत्पन्न करती है और संसार का भरण पोषण करती है। परंतु धरती के अंदर की पत्थर और चट्टानें उसे बंजर बना देती है। तब बंजर भूमि के पत्थर और चट्टानों को तोड़कर उपजाऊ बनाने की आवश्यकता पड़ती है।
उसी प्रकार मनुष्य का मन है। वह अपने अंदर की बंजर विचारों रूपी विघ्न बाधाओं रूपी पत्थर और चट्टानों को तोड़ दे तो उसके अंदर सृजन शक्ति का विकास होगा और वह अपनी शक्ति को पहचान कर आगे बढ़ सकेगा।
पाठ के बारे में…
इस पाठ में ‘वसंत आया’ और ‘तोड़ो’ ये दो कवितायें ‘रघुवीर सहाय’ ने दो कवितायें प्रस्तुत की हैं।
‘वसंत आया’ कविता में वसंत ऋतु के आगमन और उसके सौंदर्य का वर्णन किया है। कवि को अचानक पता चलता है कि वसंत ऋतु का आगमन हो गया है, जब उसे मौसम मे परिवर्तन होता है। वो अपने घर जाकर इसकी पुष्टि भी कर लेता था।
‘तोड़ो’ कविता के माध्यम से कवि ने एक प्रतीकात्मक कविता प्रस्तुत की है। कवि का कहना है कि सृजन हेतु भूमि को तैयार करने के लिए चट्टानें, ऊस और बंजर को तोड़ना पड़ता है। तभी खेतों में फसल लहराती है। उसी प्रकार अपने अपने मन में नवीन विचारों के सृजन के लिए पुराने और बंजर विचारों को त्यागना और तोड़ना पड़ता है, सभी नवीनता का सृजन होगा।रघुवीर सहाय हिंदी साहित्य के एक जाने-माने हस्ताक्षर रहे हैं। जिनका जन्म 1929 में लखनऊ उत्तर प्रदेश में हुआ था। वह नई कविता के सशक्त हस्ताक्षर थे।
उनकी प्रमुख काव्य कृतियों में ‘सीढ़ियों पर धूप में’, ‘हंसो-हंसो जल्दी हंसो’, ‘लोग भूल गए हैं’, ‘आत्महत्या के विरुद्ध’ आदि के नाम प्रमुख हैं। रघुवीर सहाय रचनावली नाम से प्रकाशित हुई छह खंडों के काव्य संग्रह में उनकी सभी रचनाओं को संकलित किया गया है। वह साहित्य पुरस्कार से भी सम्मानित किए जा चुके हैं। सन् 1990 में उनका निधन हो गया था।
संदर्भ पाठ :
रघुवीर सहाय – वसंत आया/तोड़ो (कक्षा – 12, पाठ – 6, अंतरा)
इस पाठ के अन्य प्रश्न उत्तर…
‘आधे-आधे गाने’ के माध्यम से कवि क्या कहना चाहता है?
पत्थर’ और ‘चट्टान’ किसके प्रतीक है?
‘वसंत आया’ कविता में कवि की चिंता क्या है?
बसंत आगमन की सूचना कवि को कैसे मिली?
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