Wednesday, October 4, 2023

अलंकार बताइए। (क) बड़े-बड़े पिपराए पत्ते। (क) कोई छह बजे सुबह जैसे गर्म पानी से नहाई हो। (ग) खिली हुई हवा आई, फिरकी सी आई चली गई। (घ) कि दहर-दहर दहकेंगे कहीं ढाक के जंगल।
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अलंकार बताइए।
(क) बड़े-बड़े पिपराए पत्ते।
(क) कोई छह बजे सुबह जैसे गर्म पानी से नहाई हो।
(ग) खिली हुई हवा आई, फिरकी सी आई चली गई।
(घ) कि दहर-दहर दहकेंगे कहीं ढाक के जंगल

 

अलंकार इस प्रकार होंगे…

(क) बड़े-बड़े पिपराए पत्ते।

अलंकार : पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार और अनुप्रास अलंकार

कारण : ‘बड़े-बड़े’ शब्द में बड़े शब्द की लगातार दो बार पुनरावृति हुई है, इसीलिए यहाँ पर ‘पुनरुक्ति प्रकाश’ अलंकार है। ‘बड़े-बड़े पिपराए पत्ते’ इस पंक्ति में ‘ब’ वर्ण और ‘प’ वर्ण की एक से अधिक यानि दो-दो बार आवृत्ति हुई है, इसलिये इस पंक्ति में ‘अनुप्रास अलंकार’ भी प्रकट होता है।

(क) कोई छह बजे सुबह जैसे गर्म पानी से नहाई हो।

अलंकार : मानवीकरण अलंकार

कारण : क्योंकि इस पंक्ति में प्रकृति के एक घटक सुबह को मानव रूप में क्रिया संम्पन्न करते हुए दर्शाया जा रहा है, इसलिये इस पंक्ति में ‘मानवीकरण अलंकार’ प्रकट हो रहा है। मानवीकरण अलंकार वहाँ पर प्रकट होता है, जहाँ पर काव्य में प्रकृति के तत्वों को मानवीय क्रिया करते हुए दिखाया जाये।

(ग) खिली हुई हवा आई, फिरकी सी आई चली गई।

अलंकार : अनुप्रास अलंकार एवं उपमा अलंकार

कारण : इस पंक्ति में ‘अनुप्रास अलंकार’ है, क्योंकि ‘खिली हुई हवा आई’ में ‘ह’ वर्ण की दो बार आवृत्ति हुई है। इस पंक्ति में ‘उपमा अलंकार’ भी प्रकट हो रहा हैस क्योंकि यहाँ पर हवा की तुलना फिरकी से की गई है। उपमा अलंकार में दो तत्वों की आपस में तुलना की जाती है तथा एक तत्व को दूसरे की उपमा दी जाती है।

(घ) कि दहर-दहर दहकेंगे कहीं ढाक के जंगल

अलंकार : पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार एवं अनुप्रास अलंकार

कारण : ‘दहर-दहर’ शब्द में ‘दहर’ शब्द की लगातार दो बार पुनरावृति हुई है, इसीलिए यहाँ पर ‘पुनरुक्ति प्रकाश’ अलंकार है। ‘दहह-दहर दहकेंगे’ इस पंक्ति में ‘द’ वर्ण एक से अधिक यानि तीन बार आवृत्ति हुई है, इसलिये इस पंक्ति में ‘अनुप्रास अलंकार’ भी प्रकट होता है।

 

संदर्भ पाठ :

रघुवीर सहाय – वसंत आया/तोड़ो (कक्षा – 12, पाठ – 6, अंतरा)

 

इस पाठ के अन्य प्रश्न उत्तर…

‘आधे-आधे गाने’ के माध्यम से कवि क्या कहना चाहता है?

यह झूठे बंधन टूटें, तो धरती को हम जानें। यहाँ पर झूठे बंधनों और धरती को जानने से क्या अभिप्राय है?

कविता का आरंभ ‘तोड़ो तोड़ो तोड़ो’ से हुआ है और अंत ‘गोड़ो गोड़ो गोड़ो’ से हुआ। विचार कीजिए कि कवि ने ऐसा क्यों किया?

भाव स्पष्ट कीजिए। मिट्टी में रस होगा ही, जब वह पोसेगी बीज को, हम उसको क्या कर डालें इस अपने मन की खीज को, गोड़ो गोड़ो गोड़ो

पत्थर’ और ‘चट्टान’ किसके प्रतीक है?

‘वसंत आया’ कविता में कवि की चिंता क्या है?

प्रकृति मनुष्य की सहचरी है’ इस विषय पर विचार व्यक्त करते हुए आज के संदर्भ में इस कथन की वास्तविकता पर प्रकाश डालिए।

किन पंक्तियों से ज्ञात होता है कि आज मनुष्य प्रकृति के नैसर्गिक सौंदर्य की अनुभूति से वंचित है?

अलंकार बताइए। (क) बड़े-बड़े पिपराए पत्ते। (क) कोई छह बजे सुबह जैसे गर्म पानी से नहाई हो। (ग) खिली हुई हवा आई, फिरकी सी आई चली गई। (घ) कि दहर-दहर दहकेंगे कहीं ढाक के जंगल।

कोई छह बजे सुबह जैसे गर्म पानी से नहाई हो, जैसे गरम पानी से नहाई हो, खिली हुई हवा आई, फिरकी सी आई, फिर चली गई। पंक्ति में भाव स्पष्ट कीजिए।

वसंत आगमन की सूचना कवि को कैसे मिली?

 

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