पक्षी रवि की सवारी का स्वागत उनका कीर्ति गान करके करते हैं। जब रवि यानि सूरज उदय होने को होते हैं, तब सूरज के स्वागत के लिए सभी तैयार हो जाते हैं। सूरज की सवारी के आने की खुशी में पक्षी सूरज की वंदना करते हुए उसके यश और कीर्ति का गीत गाने लगते हैं।
कवि हरिवंश राय बच्चन अपनी कविता ‘आ रही रवि की सवारी’ की इन पंक्तियों में कहते हैं कि…
विहग, बंदी और चारण,
जा रहे हैं, कीर्तिगान,
छोड़कर मैदान भागी,
तारकों की फौज सारी,
आ रही रवि की सवारी
अर्थात कवि कहते हैं, कि जब रवि की सवारी आने लगती है यानी सूरज उदय होने लगता है तब सूरज के स्वागत के लिए पक्षी सूरज की वंदना करते हुए उसके यश और कीर्ति के गीत गाने लगते हैं। प्रशंसा के गीत गाने गाने वाले यानी चरण लोग भी सूरज के यश और कीर्ति के गीत गाते हैं। तारों की फौज मैदान छोड़कर भाग चुकी होती है यानी अंधेरा पूरी तरह से खत्म हो गया होता है और आसमान में तारे दिखाई देने बंद हो गए होते हैं। सूरज का प्रकाश धीरे-धीरे आसमान चारों तरफ फैले रखता है, इससे पता चलता है सूरज यानी रवि की सवारी आ रही है।
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