Wednesday, October 4, 2023

“काश, कोई तो होता जो मेरी भावनाओं को गंभीरता से समझ पाता। अफसोस, ऐसा व्यक्ति मुझे अब तक नहीं मिला…।” क्या आपको लगता है कि ऐन के इस कथन में उसके डायरी लेखन का कारण छुपा है?
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इस कथन के माध्यम से ऐन के डायरी लेखन का कारण पता चलता है। सामान्य तौर पर व्यक्ति डायरी तभी लिखता है, जब उसे अपने मन को भावों को प्रकट करना होता है।
कोई भी व्यक्ति अपने दुख, तकलीफ की स्थिति में अपने विचार भावों को अपने लोगों के साथ साझा करना चाहता है, लेकिन यदि उसे कोई ऐसा व्यक्ति नहीं मिलता जो उसके विचारों को समझ सके तो व्यक्ति डायरी लेखन अपनाता है, जिसके माध्यम से वे अपने विचारों को व्यक्त कर अपने मन को हल्का करने का प्रयत्न करता है।
ऐन के जीवन में भी शायद ऐसी ही घटना घटित होगी। कहने को ऐन एक साधारण लड़की थी, लेकिन वह अपने साथ हो रही व्यथा, तकलीफ, दुख तकलीफ को किसी के साथ साझा करना चाहती थी, लेकिन शायद उसके व्यक्तित्व, विचारों आदि को कोई गंभीरता से समझने वाला नहीं मिला और उसे डायरी लेखन की प्रक्रिया अपनानी पड़ी।
वह स्वयं डायरी में लिखती है कि लोग उसे घमंडी, अक्खड़ और जिद्दी समझते हैं, जबकि वह वास्तव में ऐसी नहीं है। इसी प्रकार उसके बारे में अन्य ऐसी कई बातें प्रचलित थीं, जो वास्तव में वह वैसी नहीं थी। इससे लगता है कि लोग उसे समझ नहीं पाते। यही बात उसने अपनी डायरी में लिखी है। इसी कारण वह अपने आसपास के लोगों से कट गई थी और अलग-अलग हो गई थी। वो अपनी मन की बातें केवल अपनी डायरी के माध्यम से ही करती थी। डायरी को उसने अपना मित्र बना लिया था।

पाठ के बारे में…

यह पाठ ऐन फ्रैंक द्वारा लिखी गई डायरी के अंशों का हिस्सा है। इस पाठ में ऐन फ्रैंक की डायरी के अंशों का उल्लेख किया गया है। डायरी के यह पन्ने उस घटनाक्रम को कहते हैं, जब जर्मन तानाशाह हिटलर की तानाशाही के कारण लाखों यहूदियों को अनेक तरह की यातनाएं सहनी पड़ी और 60 लाख से अधिक यहूदियों का नरसंहार हुआ था। ऐन फ्रैंक भी उन्ही यातना सहने वाले यहूदियों में से एक थी।ऐन फ्रैंक का जन्म 12 जून 1929 को जर्मनी के फ्रैंकफर्ट शहर में हुआ था। एन फ्रैंक ने हिटलर द्वारा दी गई अनेक यात्राएं सही और हिटलर के बनाए जाते यातना गृह में कई दिन गुजारे थे। वह अपने मन की व्यथा, दुख, कष्ट, तकलीफ आदि हो डायरी में लिखी रहती थी, जो बाद में अन्य भाषाओं में भी प्रकाशित हुई और उसकी ये डायरी दुनिया की सबसे ज्यादा पढ़ी जाने वाली किताबों में से एक किताब बन गई। अंग्रेजी में ‘ये डायरी ऑफ यंग गर्ल’ के नाम से 1952 में यह डायरी प्रकाशित हुई थी जो कि मूल रूप से जर्मन भाषा में लिखी गई।

संदर्भ पाठ :

‘डायरी के पन्ने’ लेखक – ऐनी फ्रैंक, (कक्षा -12, पाठ – 4 हिंदी वितान)

 

इस पाठ के अन्य प्रश्न उत्तर भी देंखे…

ऐन ने अपनी डायरी ‘किट्टी’ को संबोधित चिट्ठी की शक्ल में लिखने की जरूरत क्यों महसूस की होगी?

“ऐन की डायरी अगर एक ऐतिहासिक दौर का जीवंत दस्तावेज है, तो साथ ही उसके निजी सुख दुख और भावनात्मक उथल-पुथल का भी।” इन पृष्ठों में दोनों का फर्क मिट गया है। इस कथन पर विचार करते हुए अपनी सहमति या असहमति तर्क पूर्वक व्यक्त करें।

प्रकृति-प्रदत, प्रजनन शक्ति के उपयोग का अधिकार बच्चे पैदा करें या ना करें अथवा कितने बच्चे पैदा करें’, – इसकी स्वतंत्रता स्त्री से छीन कर हमारी विश्व व्यवस्था ने ना सिर्फ स्त्री को व्यक्तित्व-विकास के अनेक अवसरों से वंंचित है बल्कि जन आधिक्य की समस्या भी पैदा की है। ऐन की डायरी के 13 जून 1944 के अंश में व्यक्त विचारों के संदर्भ में इस कथन का औचित्य ढूंढें।

वह साठ लाख लोगों की तरफ से बोलने वाली एक आवाज है। एक ऐसी आवाज, जो किसी संत या कवि की नहीं बल्कि एक साधारण लड़की की है।” इल्या इहरनबुर्ग की इस टिप्पणी के संदर्भ में ऐन फ्रैंक की डायरी के पठित अंशों पर विचार करें।

 

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