यह कथन लेखक अतीत और वर्तमान की कड़ियों को जोड़ते हुए आज के संदर्भ में करता है। लेखक यह कहने का अभिप्राय यह है कि सिंधु घाटी मोहनजोदड़ो की जो सभ्यता आज इतिहास बन चुकी है, वह अपनी समय में वर्तमान थी।
आज जो सभ्यता मृत है, वह कभी सजीव सभ्यता थी। उस सभ्यता के अवशेष यह बताते हैं कि कभी वहाँ पर पूरी आबादी अपना जीवन यापन करती थी। वहाँ पर पर लोग अपने जीवन को जीते थे। भले ही आज वह जगह एक खंडहर वाली जगह हो गई हो।
लेखक इसी कारण उस ऐतिहासिक स्थल के तत्कालीन समय को जानना और महसूस करना चाहता है कि जिन खंडहरों में वह खड़ा है, जिस मकान में वह खड़ा है, वहाँ कभी जीवन था। लेखक उस जीवन को महसूस करना चाहता है।
भले आज यह अवशेष ऐतिहासिक हैं, लेकिन इन इतिहास के इन अवशेषों के माध्यम से बहुत कुछ जाना जा सकता है। इसी कारण लेखक इतिहास के उस पार झांक कर उस समय के जीवन को महसूस कर उस समय के वर्तमान की कड़ी आज के वर्तमान से जोड़ना चाह रहा है, जो पहले कभी वर्तमान था आज इतिहास है। आज जो वर्तमान है, वह भविष्य में कभी इतिहास बनेगा।
आज जो सभ्यता मृत है, वह कभी सजीव सभ्यता थी। उस सभ्यता के अवशेष यह बताते हैं कि कभी वहाँ पर पूरी आबादी अपना जीवन यापन करती थी। वहाँ पर पर लोग अपने जीवन को जीते थे। भले ही आज वह जगह एक खंडहर वाली जगह हो गई हो।
लेखक इसी कारण उस ऐतिहासिक स्थल के तत्कालीन समय को जानना और महसूस करना चाहता है कि जिन खंडहरों में वह खड़ा है, जिस मकान में वह खड़ा है, वहाँ कभी जीवन था। लेखक उस जीवन को महसूस करना चाहता है।
भले आज यह अवशेष ऐतिहासिक हैं, लेकिन इन इतिहास के इन अवशेषों के माध्यम से बहुत कुछ जाना जा सकता है। इसी कारण लेखक इतिहास के उस पार झांक कर उस समय के जीवन को महसूस कर उस समय के वर्तमान की कड़ी आज के वर्तमान से जोड़ना चाह रहा है, जो पहले कभी वर्तमान था आज इतिहास है। आज जो वर्तमान है, वह भविष्य में कभी इतिहास बनेगा।
पाठ के बारे में…
इस पाठ के माध्यम से लेखक ने सिंधु घाटी सभ्यता और उसकी ऐतिहासिकता का वर्णन किया है। जिसने सिंधु घाटी सभ्यता की विशेषताएं का विवेचन किया है और बताया है, कि सिंधु घाटी सभ्यता के अवशेषों की प्राप्ति के बाद हमें क्या-क्या जानकारी मिली। सिंधु घाटी सभ्यता अपने तत्कालीन स्वरूप में कैसी थी।ओम थानवी एक पत्रकार और लेखक हैं, जो अनेक तरह के निबंध और लेख आदि लिख चुके हैं। वह अनेक पत्र-पत्रिकाओं में संपादक के तौर पर भी कार्य कर चुके हैं। वह सिंधु घाटी सभ्यता (हड़प्पा सभ्यता) पर आधारित लेखन के लिए विशेषज्ञ माने जाते हैं |
पाठ संदर्भ :
‘अतीत में दबे पाँव’ लेखक – ओम थानवी, (कक्षा – 12 पाठ – 3, वितान)
इस पाठ के पाठ के अन्य प्रश्न उत्तर…
सिंधु सभ्यता साधन संपन्न थी, पर उसमें भव्यता का आडंबर नहीं था कैसे?
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