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सिंधु सभ्यता साधन संपन्न थी, पर उसमें भव्यता का आडंबर नहीं था कैसे?
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अतीत में दबे पाँव, ओम थानवी, कक्षा-12 पाठ-3 वितान, कक्षा-12 पाठ-3 हिंदी वितान

सिंधु घाटी सभ्यता साधन संपदा मानी जाती है, लेकिन उसमें भव्यता का आडंबर नहीं था क्योंकि इस बात के अनेक ठोस कारण प्राप्त होते हैं। सिंधु घाटी सभ्यता में का सबसे प्रमुख शहर मोहनजोदड़ो था, जो एक व्यवस्थित शहर था इस शहर के व्यवस्थित ढांचा और उसके मकानों की बनावट से यह बात स्पष्ट हो जाती है। वहाँ के मकान सीधे सरल तरीके से बनाए गए थे। सड़कों की बनावट भी सीधी-सादी थी। सड़कें चौड़ी और साफ थीं।
नगर के जितने भी मकान, भवन आदि थे, वह बहुत भव्य नहीं थे। इसके अलावा मोहनजोदड़ो में पाए जाने वाले स्नानागार, पूजा स्थल, सामुदायिक भवन आदि भी सामान्य शैली में बनाए गए थे, जिनमें भव्यता का आडंबर नहीं दिखाई देता है।
हड़प्पा संस्कृति में बड़े-बड़े भव्य राज्य प्रसाद अथवा धार्मिक स्थल अथवा मंदिर जैसी चीजें नहीं मिलती हैं और ना ही वहां राजाओं के यशस्वी गान से युक्त कोई भी अवशेष प्राप्त होते हैं ना ही कोई चिन्ह मिलते हैं। ना ही वहाँ पर संत महात्माओं आदि की समाधियां मिलती हैं।
वहाँ पर बड़े-बड़े महलों की जगह छोटे-छोटे मकान मिले हैं। मूर्ति और औजार आदि भी सामान्य शिल्प कला में बने प्राप्त हुए हैं। इन बातों के आधार पर कहा जा सकता है कि सिंधु घाटी सभ्यता साधन सभ्यता तो थी, लेकिन भव्यता के आडंबर से युक्त सभ्यता नहीं थी।

पाठ के बारे में…

इस पाठ के माध्यम से लेखक ने सिंधु घाटी सभ्यता और उसकी ऐतिहासिकता का वर्णन किया है। जिसने सिंधु घाटी सभ्यता की विशेषताएं का विवेचन किया है और बताया है, कि सिंधु घाटी सभ्यता के अवशेषों की प्राप्ति के बाद हमें क्या-क्या जानकारी मिली। सिंधु घाटी सभ्यता अपने तत्कालीन स्वरूप में कैसी थी।ओम थानवी एक पत्रकार और लेखक हैं, जो अनेक तरह के निबंध और लेख आदि लिख चुके हैं। वह अनेक पत्र-पत्रिकाओं में संपादक के तौर पर भी कार्य कर चुके हैं। वह सिंधु घाटी सभ्यता (हड़प्पा सभ्यता) पर आधारित लेखन के लिए विशेषज्ञ माने जाते हैं |

पाठ संदर्भ :
‘अतीत में दबे पाँव’ लेखक – ओम थानवी, (कक्षा – 12 पाठ – 3, वितान)

 

इस पाठ के पाठ के अन्य प्रश्न उत्तर…

सिंधु घाटी सभ्यता का कोई लिखित साक्ष्य नहीं मिला है, सिर्फ अवशेषों के आधार पर ही धारणा बनाई है। इस लेख में मोहनजोदड़ो के बारे में जो धारणा व्यक्त की गई है, क्या आपके मन में उससे कोई भी धारणा या भाव भी पैदा होता है? इन संभावनाओं पर कथा समूह में चर्चा करें।

नदी, स्नानागार और बेजोड़ निकासी व्यवस्था को देखते हुए लेखक पाठकों से प्रश्न पूछता है कि क्या हम सिंधु घाटी सभ्यता को जल-संस्कृति कह सकते हैं? आपका जवाब लेखक के पक्ष में है या विपक्ष में तर्क दें।

इस पाठ में एक ऐसे स्थान का वर्णन है, जिसे बहुत कम लोगों ने देखा होगा। परंतु इससे आपके मन में उस नगर की एक तस्वीर बनती है। किसी ऐसे इतिहासिक स्थल, जिसको आपने नजदीक से देखा हो, का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।

‘टूटे-फूटे खंडहर, सभ्यता और संस्कृति के इतिहास के साथ-साथ धड़कती जिंदगियों के अनछुए समयों का भी दस्तावेज होते हैं।’ – इस कथन का भाव स्पष्ट कीजिए।

यह सच है कि यहां किसी आंगन की टूटी फूटी सीढ़ियां अब आपको कहीं नहीं ले जातीं, वह आकाश की तरफ अधूरी रह जाती हैं, लेकिन उन अधूरे पायदान पर खड़े होकर अनुभव किया जा सकता है कि आप दुनिया की छत पर हैं, वहाँ से आप इतिहास को नहीं, उसके पार झांक रहे हैं। इस कथन के पीछे लेखक का क्या आशय है?

पुरातन के किन चिन्हों के आधार पर हम कह सकते हैं कि – ”सिंधु सभ्यता ताकत से शासित होने की अपेक्षा समझ से अनुशासित सभ्यता थी।”

सिंधु घाटी की खूबी उसका सौंदर्य बोध है, जो राज पोषित या धर्म पोषित ना होकर समाज पोषित था, ऐसा क्यों कहा गया?

 

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