जब लेखक का कविता से लगाव हुआ उससे पहले लेखक जब भी कोई कार्य करता तो वह अरुचि पूर्ण ढंग से कार्य करता था। अपने पिता के साथ खेती के कार्यों में भी उसका मन नहीं लगता था। वह पशुओं को चराते समय अथवा खेत आदि में पानी देते समय या अन्य कोई कार्य करते समय चुपचाप कार्य करता रहता था। तब उसे अकेलापन महसूस होता था। उसे किसी के साथ बोलते-बोलते, गपशप करते-करते कार्य करना अच्छा लगता था। लेकिन जब लेखक का कविता के प्रति लगाव उत्पन्न हुआ, तब लेखक की मनोस्थिति में बदलाव आया और उसे अपने अकेलेपन से कोई शिकायत नहीं रही। अब वह कोई भी कार्य करते करते अपनी कविताओं के बारे में सोचता-सोचता रहता अथवा अपनी कविताओँ को गुनगुनाता रहता था।
अपनी कविताओं को गुनगुनाते हुए कार्य करने में उसे अब बेहद आनंद आने लगा था। अकेलेपन के प्रति उसकी धारणा और सोच में परिवर्तन आ गया था। कार्य करते करते समय अपनी कविताओं के बारे में सोचना अथवा किसी नई कविता की रचना आदि करना उसकी आदत बन गयी। उसका न केवल उसका कार्य आसानी से हो जाता था बल्कि समय का भी पता नहीं चलता था।
अकेलेपन का महत्व अब लेखक को पता चल रहा था। अब उसने अपने अकेलेपन में ही अपनी कविताओं का संसार रच लिया था।
पाठ के बारे में…
‘जूझ’ पाठ लेखक ‘आनंद यादव’ द्वारा लिखा गया एक ऐसा पाठ है, जिसके माध्यम से उन्होंने अपने बचपन के संघर्षों का वर्णन किया है। ग्रामीण और किसान पृष्ठभूमि से होने के कारण उनके पिता ने उन्हें शिक्षा की जगह कृषि कार्य में लगने के लिए जोर दिया। लेकिन लेखक शिक्षा प्राप्त करना चाहता था और इसी कारण उसे अपने जीवन में पाठशाला जाने और शिक्षा प्राप्त करने के लिए जूझना पड़ा यानि अनेक तरह के संघर्ष करने पड़े। वह अपने संघर्ष में सफल भी हुआ और उसने शिक्षित होने में सफलता प्राप्त की।
संदर्भ पाठ :
‘जूझ’, लेखक – आनंद यादव, (कक्षा – 12, पाठ – 2, वितान)
इस पाठ के अन्य प्रश्न उत्तर…
स्वयं कविता रच लेने का आत्मविश्वास लेखक के मन में कैसे पैदा हुआ?
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