स्वयं कविता रच लेने का आत्मविश्वास लेखक के मन में तब पैदा हुआ जब लेखक की भेंट अपनी पाठशाला के मराठी अध्यापक सैंदलगेकर से हुई। सौंदलगेकर एक अच्छे कवि और रसिक स्वभाव के व्यक्ति थे। वे इस अंदाज में कक्षा में कविता पढ़ाते थे, वह अंदाज लेखक को बेहद पसंद आया। उनके कविता पढ़ाने से अंदाज के कारण ही लेखक की कविता के प्रति रुचि पैदा हुई और वह भी कविता रचने की ओर अग्रसर हुआ।
आरंभ में लेखक को कविता रचने में हिचक होती थी। वह कविता को दूसरों के अंदाज में कहता था। लेकिन धीरे-धीरे वह कविता रचने में महारत हासिल कर लेता है। उसकी प्रतिभा को निखारने में उसके अध्यापक सौंदलगेकर पूरी तरह सहयोग करते हैं। लेखक तो उसकी कविताओं की कमियों और विशेषताओं के बारे में बताते हैं और उसका हौसला बढ़ाते हैं, जिससे लेखक का आत्मविश्वास बढ़ता जाता है और उसमें स्वयं में कविता रच लेने का आत्मविश्वास पैदा होता है।
पाठ के बारे में…
‘जूझ’ पाठ लेखक ‘आनंद यादव’ द्वारा लिखा गया एक ऐसा पाठ है, जिसके माध्यम से उन्होंने अपने बचपन के संघर्षों का वर्णन किया है। जब उन्हें जब ग्रामीण और किसान पृष्ठभूमि से होने के कारण उनके पिता ने उन्हें शिक्षा की जगह कृषि के कार्य लगने के लिए जोर दिया। लेकिन लेखक शिक्षा प्राप्त करना चाहता था और इसी कारण उसे अपने जीवन में पाठशाला जाने और शिक्षा प्राप्त करने के लिए जूझना पड़ा यानि अनेक तरह के संघर्ष करने पड़े। वह अपने संघर्ष में सफल भी हुआ और उसने शिक्षित होने में सफलता प्राप्त की।
संदर्भ पाठ :
‘जूझ’, लेखक – आनंद यादव, (कक्षा – 12, पाठ – 2, वितान)
इस पाठ के अन्य प्रश्न उत्तर…
कविता के प्रति लगाव से पहले और उसके बाद अकेलेपन के प्रति लेखक की धारणा में क्या बदलाव आया?
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