व्याकुल व्यथा मिटानेवाली वह अपनी प्राकृत विश्रांति।
भाव : ‘सुभद्रा कुमारी द्वारा’ रचित मेरा बचपन नामक कविता की इन पंक्तियों का भाव यह है कि कवयित्री अपने बचपन को याद करते हुए बचपन के लौट आने की कामना कर रही है। कवयित्री चाहती है, कि वह सुहाना बचपन वापस लौट आए, जिससे कवयित्री के बेचैन मन को शांति मिले।
बचपन के दिन सभी के लिए सुहाने होते हैं। बचपन बीत जाने के बाद बड़े होने पर जीवन के संघर्षों से सामना करना पड़ता है और तब जीवन में बेचैनी व तनाव आदि उत्पन्न हो जाते है। ऐसी स्थिति में उस सुहाने बचपन की याद सबको आती है, जब जीवन के यह तनाव, बेचैनी आदि कुछ नहीं होते थे। इसीलिए कवयित्री भी अपने उसी सुहाने बचपन को याद कर रही है और चाहती है कि उसका वह सुहाना बचपन वापस लौट आए और उसके जीवन की बेचैनी मिटे।
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