सत्य और संकल्प में बेहद गहरा संबंध है। सत्य और संकल्प दोनों एक दूसरे पर टिके हैं। सत्य की राह पर तभी चला जा सकता है, जब सत्य का पालन करने वाले के अंदर संकल्प होगा। यदि सत्य पालन करने वाले में संकल्प शक्ति की कमी है, वह दृढ़ निश्चय नहीं है तो वह सत्य के मार्ग पर नहीं चल सकता।
सत्य का मार्ग बेहद कठिन और कांटो भरा है। इस मार्ग पर चलने के लिए अनेक संघर्षों, विरोधों और कष्टों का सामना करना पड़ सकता है, फिर भी यदि सत्य का पालन करने वाला व्यक्ति बिना विचलित होते हुए अपनी संकल्प शक्ति के सारे सत्य के मार्ग पर चलता रहता है तो वह सत्य भी उसके साथ चलता है और सत्य फलता फूलता है। लेकिन जहाँ व्यक्ति की संकल्प कमजोर पड़ी तो वहीं सत्य भी तुरंत दम तोड़ देगा।
इसीलिए सत्य और संकल्प में बेहद गहरा संबंध है। जैसे जल और मछली के बीच का संबंध है। जल के बिना मछली तड़पती हुई दम तोड़ देती है, उसी तरह संकल्प के बिना सत्य भी दम तोड़ देगा।
पाठ के बारे में…
पाठ में ‘एक कम’ कविता के माध्यम से कवि ने भारत देश की आजादी के बाद उत्पन्न हुई परिस्थितियों का वर्णन किया है। कवि ने यह बताने का प्रयास किया है कि भारत की आजादी के लिए स्वतंत्रता सेनानियों ने जैसा सोचा था, आजादी मिलने के बाद वैसा नहीं हुआ। देश में ईमानदारों की जगह बेईमान लोगों का प्रभाव हो गया। लोगों में आपसी भाईचारे की भावना खत्म हो गई और उसका स्थान धोखाधड़ी तथा आपसी खींचतान ने ले लिया। लोग अपने स्वार्थ में लिप्त होते गए।
‘सत्य’ कविता के माध्यम से लेखक ने कवि ने महाभारत के पौराणिक संदर्भों और पात्रों के द्वारा जीवन की सत्यता को स्पष्ट करने का प्रयत्न किया है। उन्होंने अपनी बात को स्पष्ट करने के लिए महाभारतकालीन पौराणिक अतीत का सहारा लिया है।
‘विष्णु खरे’ हिंदी साहित्य के प्रसिद्ध कवि थे। जिनका जन्म मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में सन 1940 को हुआ था। उन्होंने अनेक पत्र-पत्रिकाओं में संपादन कार्य कार्य किया। इसके अलावा उन्होंने कविताएं, आलोचना आदि जैसी विधाओं में अपनी रचनाएं प्रस्तुत की। उनकी उनका निधन 2018 में हुआ था।
संदर्भ पाठ :
विष्णु खरे – एक/सत्य (कक्षा -12, पाठ – 5, अंतरा)
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इस पाठ के दूसरे प्रश्न उत्तर देखें…
कविता में बार-बार प्रयुक्त ‘हम’ कौन हैं और उसकी उसकी चिंता क्या है?
युधिष्ठिर’ जैसा संकल्प से क्या अभिप्राय है?
सत्य का दिखना और ओझल होना से कवि का क्या तात्पर्य है?
‘मैं तुम्हारा विरोधी, प्रतिद्वंदी या हिस्सेदार नहीं’ से कवि का क्या अभिप्राय है?
1947 से लोग अनेक तरीकों से मालामाल हुए किंतु विमुद्रीकरण होने से उन स्थितियों में बदलाव आया या नहीं?
हाथ फैलाने वाले व्यक्ति को कवि ने ईमानदार क्यों कहा है? स्पष्ट कीजिए।
1 thought on “सत्य और संकल्प के अंतर्संबंध पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।<div class="yasr-vv-stars-title-container"><div class='yasr-stars-title yasr-rater-stars' id='yasr-visitor-votes-readonly-rater-6f510e1f02675' data-rating='0' data-rater-starsize='16' data-rater-postid='3506' data-rater-readonly='true' data-readonly-attribute='true' ></div><span class='yasr-stars-title-average'>0 (0)</span></div>”