शिल्प सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
(क) कि अब जब आगे कोई हाथ फैलाता है, पच्चीस पैसे एक चाय या दो रोटी के लिए तो जान लेता हूँ, मेरे सामने एक ईमानदार आदमी, औरत या बच्चा खड़ा है।
शिल्प सौंदर्य : कविता में मुक्त छंद का प्रयोग किया गया है। कविता की भाषा भी एकदम सरल व सहज है जो कि आम जन भाषा है। कविता की भाषा में लाक्षणिकता का गुण निहित है। कवि पंक्ति में ‘हाथ फैलाना’ जेसे मुहावरे का भी प्रयोग सुंदर तरीके से किया है। ‘हाथ फैलाने’ को कवि ईमानदार व्यक्ति की पहचान का व्यंजनार्थ बनाया है। कवि का कहने का भाव यह है कि हाथ फैलाने वाला व्यक्ति बेईमान नहीं होता। पच्चीस पैसे में अनुप्रास अलंकार प्रकट हो रहा है।
(ख) मैं तुम्हारा विरोधी, प्रतिद्वंदी या हिस्सेदार नहीं। मुझे कुछ देकर या ना देकर भी तुम कम से कम एक आदमी से तो निश्चिंत रह सकते हो।
शिल्प सौंदर्य : कविता में मुक्त छंद का प्रयोग किया गया है। कविता की भाषा भी एकदम सरल व सहज है जो कि आम जन भाषा है। इस पंक्ति में इन पंक्तियों में प्रतीकात्मकता का गुण विद्यमान है। कवि ने विरोधी, प्रतिद्वंदी तथा हिस्सेदार के रूप में व्यंजनार्थ प्रयोग किया है। कवि विरोधी कहकर यह स्पष्ट करना चाहता है कि वह बेईमान लोगों के विरुद्ध आवाज नहीं उठा सका। प्रतिद्वंदी कहकर यह स्पष्ट करना चाहता है कि वह बेईमान लोगों से होड़ भी नहीं करना चाहता। हिस्सेदार कहकर ये स्पष्ट करना चाहता है कि वह इन लोगों से किसी भी तरह का हिस्सा भी नहीं चाहता। कवि ऐसे ही बेईमान, भ्रष्टाचारी लोगों के प्रति तटस्थता का भाव रखता है।
पाठ के बारे में…
पाठ में ‘एक कम’ कविता के माध्यम से कवि ने भारत देश की आजादी के बाद उत्पन्न हुई परिस्थितियों का वर्णन किया है। कवि ने यह बताने का प्रयास किया है कि भारत की आजादी के लिए स्वतंत्रता सेनानियों ने जैसा सोचा था, आजादी मिलने के बाद वैसा नहीं हुआ। देश में ईमानदारों की जगह बेईमान लोगों का प्रभाव हो गया। लोगों में आपसी भाईचारे की भावना खत्म हो गई और उसका स्थान धोखाधड़ी तथा आपसी खींचतान ने ले लिया। लोग अपने स्वार्थ में लिप्त होते गए।
‘सत्य’ कविता के माध्यम से लेखक ने कवि ने महाभारत के पौराणिक संदर्भों और पात्रों के द्वारा जीवन की सत्यता को स्पष्ट करने का प्रयत्न किया है। उन्होंने अपनी बात को स्पष्ट करने के लिए महाभारतकालीन पौराणिक अतीत का सहारा लिया है।
‘विष्णु खरे’ हिंदी साहित्य के प्रसिद्ध कवि थे। जिनका जन्म मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में सन 1940 को हुआ था। उन्होंने अनेक पत्र-पत्रिकाओं में संपादन कार्य कार्य किया। इसके अलावा उन्होंने कविताएं, आलोचना आदि जैसी विधाओं में अपनी रचनाएं प्रस्तुत की। उनकी उनका निधन 2018 में हुआ था।
संदर्भ पाठ :
विष्णु खरे – एक/सत्य (कक्षा -12, पाठ – 5, अंतरा)
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इस पाठ के दूसरे प्रश्न उत्तर देखें…
कविता में बार-बार प्रयुक्त ‘हम’ कौन हैं और उसकी उसकी चिंता क्या है?
युधिष्ठिर’ जैसा संकल्प से क्या अभिप्राय है?
सत्य और संकल्प के अंतर्संबंध पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।
सत्य का दिखना और ओझल होना से कवि का क्या तात्पर्य है?
‘मैं तुम्हारा विरोधी, प्रतिद्वंदी या हिस्सेदार नहीं’ से कवि का क्या अभिप्राय है?
1947 से लोग अनेक तरीकों से मालामाल हुए किंतु विमुद्रीकरण होने से उन स्थितियों में बदलाव आया या नहीं?
हाथ फैलाने वाले व्यक्ति को कवि ने ईमानदार क्यों कहा है? स्पष्ट कीजिए।