यह बात सही है कि 1947 के बाद अनेक तरीकों से लोग मालामाल हुए, जिनमें अधिकतर तरीके बेईमानी और भ्रष्टाचार से युक्त तरीके ही थे। कुछ लोग अपनी मेहनत से भी मालामाल हुए लेकिन अधिकतर लोग गलत रास्तों को अपनाकर ही मालामाल हुए। इससे धन का संतुलन बिगड़ता रहा।
विमुद्रीकरण होने से कोई विशेष बदलाव नहीं आया है। आज भी धन का संतुलन वैसा ही है। यानि अमीर लोग और अधिक अमीर होते जा रहे हैं। गरीब लोग और गरीब होते जा रहे हैं।
विमुद्रीकरण से अमीर और गरीब दोनों लोगों को परेशानी हुई लेकिन अमीर और बेईमान लोगों को कम परेशानी हुई, क्योंकि उनके पास अपार धन था। इसी कारण वे जल्दी ही इस परेशानी से निकल आये। लेकिन गरीब लोग जिनकी जमा पूंजी बैंक में जमा थी, वह बुरी तरह प्रभावित हुए। उन्हें अधिक परेशानी हुई। इस कारण उसका पूरा जीवन ही प्रभावित हो गया।
विमुद्रीकरण करने के पीछे सरकार का उद्देश्य अच्छा था लेकिन उसका क्रियान्वयन सही तरीके से नहीं किया गया और जल्दी बाजी में लिया गया निर्णय से उतना लाभ नहीं मिला पाया और अपने असली उद्देश्य की पूर्ति नहीं कर पाया। इसलिए विमुद्रीकरण से स्थितियों में कोई विशेष बदलाव नहीं आया है।
पाठ के बारे में…
पाठ में ‘एक कम’ कविता के माध्यम से कवि ने भारत देश की आजादी के बाद उत्पन्न हुई परिस्थितियों का वर्णन किया है। कवि ने यह बताने का प्रयास किया है कि भारत की आजादी के लिए स्वतंत्रता सेनानियों ने जैसा सोचा था, आजादी मिलने के बाद वैसा नहीं हुआ। देश में ईमानदारों की जगह बेईमान लोगों का प्रभाव हो गया। लोगों में आपसी भाईचारे की भावना खत्म हो गई और उसका स्थान धोखाधड़ी तथा आपसी खींचतान ने ले लिया। लोग अपने स्वार्थ में लिप्त होते गए।
‘सत्य’ कविता के माध्यम से लेखक ने कवि ने महाभारत के पौराणिक संदर्भों और पात्रों के द्वारा जीवन की सत्यता को स्पष्ट करने का प्रयत्न किया है। उन्होंने अपनी बात को स्पष्ट करने के लिए महाभारतकालीन पौराणिक अतीत का सहारा लिया है।
‘विष्णु खरे’ हिंदी साहित्य के प्रसिद्ध कवि थे। जिनका जन्म मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में सन 1940 को हुआ था। उन्होंने अनेक पत्र-पत्रिकाओं में संपादन कार्य कार्य किया। इसके अलावा उन्होंने कविताएं, आलोचना आदि जैसी विधाओं में अपनी रचनाएं प्रस्तुत की। उनकी उनका निधन 2018 में हुआ था।
संदर्भ पाठ :
विष्णु खरे – एक/सत्य (कक्षा -12, पाठ – 5, अंतरा)
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इस पाठ के दूसरे प्रश्न उत्तर देखें…
कविता में बार-बार प्रयुक्त ‘हम’ कौन हैं और उसकी उसकी चिंता क्या है?
युधिष्ठिर’ जैसा संकल्प से क्या अभिप्राय है?
सत्य और संकल्प के अंतर्संबंध पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।
सत्य का दिखना और ओझल होना से कवि का क्या तात्पर्य है?
‘मैं तुम्हारा विरोधी, प्रतिद्वंदी या हिस्सेदार नहीं’ से कवि का क्या अभिप्राय है?
हाथ फैलाने वाले व्यक्ति को कवि ने ईमानदार क्यों कहा है? स्पष्ट कीजिए।
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