हमारे विचार से (ख) विकल्प सही है कि यशोधर बाबू में एक तरह का द्वंद्व है, जिसके कारण नया उन्हें कभी-कभी खींचता तो है, पर पुराना छोड़ता नहीं, इसीलिए उन्हें सहानुभूति के साथ देखने की जरूरत है।
हम अपने आसपास के जीवन में भी अपने बड़े बुजुर्गों के साथ यही देख रहे हैं। हमारे बड़े बुजुर्ग चाहे दादा दादी हों अथवा हमारे माता-पिता या अन्य कोई बड़े जन हों। वह भी अपनी परंपराओं और पुराने आदर्शों के साथ जीना चाहते हैं और नएपन के प्रति भी उनकी उत्सुकता रहती है। लेकिन वे उसे सहज रूप से अपना नहीं पाते क्योंकि उनका उनकी जो पुरानी जीवनशैली है, जो उनके पुराने परंपरा और विचार रहे हैं वह उसे यूं ही छोड़ना नहीं चाहते।
हमारे साथ भी भविष्य में ऐसा ही होने वाला है। जब हम बड़े बुजुर्ग हो जाएंगे तो हम आज जिस जीवन शैली में जी रहे हैं, उसी में जीना पसंद करेंगे आने वाले समय में हमारी नई पीढ़ी की जीवन शैली और अधिक परिवर्तित हो चुकी होगी लेकिन हम शायद जीवन शैली को सहज रूप से नहीं अपना पाए।
ये सब पीढ़ियों दर पीढ़ियों चला आता रहा है, आगे भी चलता रहेगा। पुराना कभी नये को सहज रूप से स्वीकार नही पाता। इसीलिये यशोधर बाबू के मन में एक मानसिक द्वंद्व चलता रहता है और उन्हे सहानुभूति से देखे जाने की जरूरत है।
पाठ के बारे में…
‘सिल्वर वेडिंग’ पाठ जोकि ‘मनोहर श्याम जोशी’ द्वारा लिखा गया है। इस पाठ के माध्यम से लेखक ने दो पीढ़ियों के बीच विचारों के टकराव को लेकर संघर्ष विचारों के टकराव के संघर्ष के बारे में वर्णन किया है। कहानी के मुख्य पात्र यशोधर बाबू पुरानी पीढ़ी का प्रतिनिधित्व करते हैं, जबकि उनकी संताने नई पीढ़ी का प्रतिनिधित्व करती हैं। दोनों पीढ़ियां अपने हिसाब से जीना चाहती हैं।
पाठ संदर्भ
सिल्वर वेडिंग – मनोहर श्याम जोशी (कक्षा – 12, पाठ – 1, वितान)
हमारे अन्य प्रश्न उत्तर :