हमारे विचार से निम्नलिखित में से पीढ़ी का अंतराल कहानी की मूल संवेदना है, क्योंकि इस कहानी में दो पीढ़ियों के बीच विचारों का टकराल ही दर्शाया गया है।
अन्य बातें यानी हाशिए पर धकेले जाते मानवीय मूल्य और पाश्चात्य संस्कृति का प्रभाव का भी कहानी में हल्का-फुल्का जिक्र हुआ है, लेकिन कहानी की मूल संवेदना पीढ़ी का अंतराल ही है।
यशोधर बाबू पुरानी पीढ़ी का प्रतिनिधित्व करते हैं तो उनकी संतान नई पीढ़ी का प्रतिनिधित्व करती है और दोनों पीढ़ियों के बीच जो अंतर है, दोनों पीढ़ियों की सोच एवं विचार के बीच जो भिन्नता है, और उसके कारण जो टकराव उत्पन्न होता है. वह इस कहानी की मूल संवेदना है।
यशोधर बाबू स्वयं स्वीकारते हैं कि जहां उनका सोचने का ढंग और उनके जीवन जीने की शैली अलग है, वहीं उनकी संतान के सोचने का ढंग और जीवन जीने की शैली अलग है। वह मानते हैं कि उनकी संतान उनकी तरह नहीं सोचती और ना ही वह अपनी संतान की तरह सोच सकते हैं।
यशोधर बाबू अपने सामाजिक मूल्य, परंपरा एवं आदर्शों को बचा कर रखना चाहते हैं। जबकि उनकी संतान कोआदर्श परंपराएं का कोई महत्व नहीं। वह नए जमाने के रहन-सहन के हिसाब से जीना चाहते हैं। इसी कारण कहानी की मूल संवेदना पीढ़ी का अंतराल ही है।
पाठ के बारे में…
‘सिल्वर वेडिंग’ पाठ जोकि ‘मनोहर श्याम जोशी’ द्वारा लिखा गया है। इस पाठ के माध्यम से लेखक ने दो पीढ़ियों के बीच विचारों के टकराव को लेकर संघर्ष विचारों के टकराव के संघर्ष के बारे में वर्णन किया है। कहानी के मुख्य पात्र यशोधर बाबू पुरानी पीढ़ी का प्रतिनिधित्व करते हैं, जबकि उनकी संताने नई पीढ़ी का प्रतिनिधित्व करती हैं। दोनों पीढ़ियां अपने हिसाब से जीना चाहती हैं।
पाठ संदर्भ
सिल्वर वेडिंग – मनोहर श्याम जोशी (कक्षा – 12, पाठ – 1, वितान)
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