‘खाली कटोरों में बसंत का उतरना’ से कवि का आशय यह है कि बनारस के घाटों पर बैठे भिखारियों को पर्याप्त भीख मिलने लगी है।
‘बनारस’ शहर में वसंत के आगमन पर गंगा के घाटों पर लोगों की भीड़ बढ़ने लगी है। इससे भिखारियों को भी पर्याप्त भीख मिलने लगी है यानी उनके कटोरे जो भीख ना मिलने के कारण खाली रहते थे, अब उनमें पैसे दिखाई देने लगे हैं।
सच्चे अर्थों में तो बसंत उन्हीं के कटोरों में दिखाई दे रहा है। बसंत का मतलब बहार से होता है और भिखारियों के कटोरों में धन रूपी बहार दिखाई दे रही है। कुछ समय तक उनके खाने-पीने की चिंताएं मिट गई हैं और वह भी प्रसन्न दिखाई दे रहे हैं। इसीलिए कवि ने ‘खाली कटोरों में बसंत उतरना’ की संज्ञा भिखारियों को पर्याप्त भीख मिलने से की है।
पाठ के बारे में :
‘बनारस’ और ‘दिशा’ इन दो कविताओं मेंं ‘बनारस’ कविता के माध्यम से कवि ने प्राचीनतम नगरी बनारस के सांस्कृतिक वैभव और ठेठ बनारसीपन पर प्रकाश डाला है। उन्होंने आस्था की नगरी बनारस की संस्कृति और वहाँ पर उत्पन्न होने वाली भीड़ के विषय में वर्णन किया है।
‘दिशा’ कविता के माध्यम से उन्होंने बाल मनोविज्ञान को उकेरा है।
केदारनाथ सिंह हिंदी के जाने-माने कवि रहे हैं। इनका जन्म बलिया जिले के चकिया गाँव में 1934 में हुआ था। वह मानवीय संवेदनाओं से भरपूर कविता लिखते रहते थे। उनकी मृत्यु 2018 में हुई।
संदर्भ पाठ
केदारनाथ सिंह, कविता – ‘बनारस’/’दिशा’ (कक्षा – 12 पाठ – 4, अंतरा)
हमारे अन्य प्रश्न उत्तर :
बनारस में वसंत का आगमन कैसे होता है और उसका क्या प्रभाव इस शहर पर पड़ता है?