Tuesday, October 3, 2023

रहीम जी के अनुसार जीवन में सत्संग का क्या महत्व है?
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रहिमन जो तुम कहत थे , संगति ही गुरा होय !
बीच इखारी रस भरा , रस काहे ना होय !!

भावार्थ : रहीम के अनुसार सज्जन व्यक्तियों की संगति यानि सत्संग करने से लाभ प्राप्त होता है और सज्जन व्यक्तियों के सद्गुण हमारे अंदर आ जाते हैं। लेकिन जो दुष्ट प्रवृत्ति के व्यक्ति होते हैं। उन पर सज्जन व्यक्तियों की संगति करने से भी कोई असर नहीं होता, बिल्कुल उसी प्रकार जिस तरह ईख यानि गन्ने के खेत में कड़वा पौधा लगा होने के बावजूद उस पर गन्ने की मिठास का कोई असर नहीं होता और वह अपना कड़वापन नहीं छोड़ता। उसी प्रकार दुष्ट प्रवृत्ति के व्यक्ति सज्जन व्यक्तियों के साथ जाकर भी अपने दुष्प्रभाव को नहीं छोड़ पाते।

 

ये प्रश्न भी देखें…

1. रहीम ने कैसे व्यक्ति को मरे व्यक्ति के समान बताया है? 2. तरुवर और सरोवर की क्या विशेषता है? 3. सज्जन व्यक्ति किसके लिए धन संचय करते है?​

रहीम के 2 दोहे और उसका भाव लिखकर !

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