Tuesday, October 3, 2023

‘यह अद्वितीय, यह मेरा, यह मैं स्वयं विसर्जित’ पंक्ति के आधार पर व्यष्टि की समष्टि में विसर्जन की उपयोगिता बताइए।
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‘यह अद्वितीय, यह मेरा, यह मैं स्वयं विसर्जित’ पंक्ति के आधार पर व्यष्टि की समष्टि में विसर्जन की उपयोगिता की अगर बात करें तो जब व्यष्टि का समष्टि में मिलन होता है तो दोनों एकाकार होते हैं, तब व्यष्टि की उपयोगिता बढ़ जाती है।
व्यक्ति और समाज एक दूसरे के पूरक हैं, व्यक्तियों से ही समाज का निर्माण होता है और व्यक्ति समाज में एकाकार होकर ही अपनी क्षमता का विस्तार कर पाता है। यदि व्यक्ति अकेला होगा तो ना तो वह कुछ उल्लेखनीय काम कर पाएगा ना वह अपने अंदर के गुणों का लाभ उठा पाएगा, ना वह अधिक क्षमतावान बन पाएगा। समाज के साथ मिलकर उसकी शक्ति में विस्तार होता है, उसकी उपयोगिता बढ़ती है और वह अधिक क्षमतावा होता है, उसके गुणों का सही उपयोग होता है।
इस तरह व्यक्ति समाज के साथ मिलकर समाज का कल्याण का कार्य करता है अपने गुणों के विकास के साथ-साथ में समाज के कल्याण के लिए भी कार्य करता है।
कवि ने दीप के पंक्ति में विलय हो जाने का उदाहरण देकर व्यक्ति के समाज में विलय हो जाने को स्पष्ट किया है। जिस तरह दीप यदि अन्य दीपों के साथ पंक्ति में रख दिया जाए तो उसके प्रकाश में बढ़ोतरी होती है। उसी प्रकार व्यक्ति जब समाज में अन्य लोगों के साथ मिलकर समाज का एक भाग बन जाता है तो उसकी क्षमता में बढ़ोत्तरी होती है।
यही व्यष्टि का समष्टि में विसर्जन है। व्यक्ति यानि व्यष्टि का समाज यानि समष्टि में विसर्जन होकर ही उसकी पूर्णता होती है और व्यक्ति और समाज को मजबूती मिलती है।

पाठ के बारे में…
‘यह दीप अकेला’ और ‘मैंने देखा एक’ बूंद इन दो कविताओं के माध्यम से कवि सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन अज्ञेय में मनुष्य को दीप का प्रतीक बनाकर संसार में उसकी यात्रा का वर्णन किया है। कवि ने दीप एवं मनुष्य की तुलना करके दोनों के स्वभाव एवं गुणों की तुलना की है।
‘मैंने देखा एक बूंद’ कविता में कवि ने समुद्र से अलग होती हुई बूंद की क्षणभंगुरता की व्याख्या की है और यह स्पष्ट करने का प्रयत्न किया है कि क्षणभंगुरता बूंद की होती है, समुद्र की नहीं। उसी तरह संसार में क्षणभंगुरता मनुष्य की है, संसार की नहीं।

संदर्भ पाठ
सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन अज्ञेय – यह दीप अकेला/ मैने देखा एक बूंद (कक्षा 12, पाठ -3, अंतरा)

 

इन्हें भी देखें…

‘गीत’ और ‘मोती’ की सार्थकता किस से जुड़ी हुई है?

‘यह दीप अकेला है, पर इसको भी पंक्ति को दे दो’ के आधार पर व्यष्टि का समष्टि में विलय कैसे संभव है?

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