मंत्रिपरिषद पर नियंत्रण स्थापित करने के लिए लोगों द्वारा चुने गए जनप्रतिनिधि जनता की तरफ से यह कार्य करते हैं, क्योंकि मंत्री परिषद संसद के प्रति उत्तरदाई है और संसद मंत्रिपरिषद पर नियंत्रण स्थापित करने के लिए निम्नलिखित तरीके अपनाती है।
इन तरीकों में प्रश्नकाल के दौरान प्रश्न पूछना, सरकार की नीतियों और कार्यक्रमों की आलोचना करना तथा सरकार के कामकाज के प्रति अविश्वास प्रस्ताव करना पेश करना प्रमुख तरीकें हैं। इन तरीकों से संसद मंत्रिपरिषद पर नियंत्रण स्थापित करती है।
संसद के सदस्य जनप्रतिनिधि होती हैं, जो जनता द्वारा उसके प्रतिनिधि बनकर संसद में जाते हैं। वह प्रतिनिधि किसी भी दल से संबंधित हो सकते हैं। यह आवश्यक नहीं कि वह सत्ताधारी दल से ही संबंध रखते हैं। उनका पहला उत्तरदायित्व जनता के प्रति जवाबदेही होता है, इसलिए किसी भी तरह के अनुचित कार्य होने पर सरकार द्वारा किसी भी तरह का संसद में प्रश्न पूछ सकते हैं और सरकार की नीतियों और कार्यक्रमों की आलोचना भी कर सकते हैं।
हमें सबसे बेहतर तरीका यह लगता है कि संसद मंत्रिपरिषद से उनकी नीतियों के संबंध में प्रश्न पूछे। इससे उनकी जवाबदेही तय होगी और अपने कर्तव्य के प्रति सजग रहेंगे और कोई अनुचित कार्य करने से बचें।
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