Tuesday, October 3, 2023

‘आकाश बदलकर बना मही’ में ‘आकाश’ एवं ‘मही’ शब्द किसकी ओर संकेत करते हैं?
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‘आकाश बदलकर बना मही’ यह शब्द कवि अपनी रचनाओं के माध्यम से की पुत्री सरोज की ओर संकेत करते हैं। कवि का हृदय चूँकि एक कवि मन है, इसलिए कवि ने अपनी कल्पनाओं का एक संसार रच रखा है। इससे पहले कवि शृंगार रस की कविता से पूर्ण कल्पनाएं करता रहा है और जब उसकी पुत्री विवाह के समय नववधू के रूप में उसके सामने आती है तो कवि के मन की श्रंगार युक्त कल्पनाएं जो कवि पूर्व समय में करता था, वह साकार होती दिख रही हैं।
कवि को ऐसा प्रतीत हो रहा है कि उसने अपनी कविताओं में श्रृंगार की जो भी कल्पना की थी वह उसकी पुत्री के सौंदर्य के रूप में साकार होकर धरती पर उतर आई हैं।
कवि के श्रृंगार भाव की ये कल्पनायें मही के रूप में उसकी पत्नी सरोज के रूप में धरती पर उतर आई है।
यहां पर ‘आकाश’ से तात्पर्य कवि के श्रृंगारभाव रूपी कल्पनायें, हैं तो ‘मी’ उसकी पुत्री का रूप एवं उसका रूप सौंदर्य है।

संदर्भ पाठ :

पाठ ‘सूर्यकांत त्रिपाठी निराला’ – गीत गाने दो मुझे/सरोज स्मृति (कक्षा – 12, पाठ – 2, अंतरा।’सरोज स्मृति’ कविता में कवि ने अपनी दिवंगत पुत्री सरोज को केंद्रित करते अपने पुत्री के साथ अपने संबंधों,  उसके विवाह के समय का वर्णन करने के साथ ही पुत्री
आकस्मिक के निधन के बाद एक पिता के मन की व्यथा और विलाप को प्रकट किया है।

 

हमारे अन्य प्रश्न उत्तर :

कवि को अपनी स्वर्गीय पत्नी की याद क्यों आई?

सरोज के नववधू रूप का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।

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