कवि को अपनी स्वर्गीय पत्नी की याद इसलिए आई, क्योंकि जब कवि की पुत्री सरोज नववधू के रूप में सामने खड़ी थी तो उसकी पुत्री बहुत सुंदर प्रतीत हो रही थी। कवि को अपनी पुत्री में उसकी माँ यानि कवि को अपनी पत्नी की झलक दिखाई देती है। कवि को वह समय याद आता है जब उन्होंने अपनी पत्नी के साथ मिलकर कई कविताएं गाईं थीं। अब उन्हें सरोज के रूप में वह कविताएं साकार होती दिखाई दे रही हैं।
जब उनकी पुत्री नववधू के रूप में बनाव-श्रृंगार किए हुए कवि के सामने खड़ी होती है तो अपनी पुत्री को देखकर कवि को एक पल को ऐसा लगता है कि जैसे उसकी पत्नी ही सरोज का रूप धारण करके सामने आ गई हो।
जब पुत्री का विवाह होता है तो माँ की उसे भावी गृहस्थ जीवन की शिक्षाएं देती है, परंतु पत्नी के दिवंगत हो जाने के कारण कवि को यह सारे कार्य खुद करने पड़ रहे हैं। इसीलिए कवि को अपनी स्वर्गीय पत्नी की याद आई।
संदर्भ पाठ :
पाठ ‘सूर्यकांत त्रिपाठी निराला’ – गीत गाने दो मुझे/सरोज स्मृति (कक्षा – 12, पाठ – 2, अंतरा।
‘सरोज स्मृति’ कविता में कवि ने अपनी दिवंगत पुत्री सरोज को केंद्रित करते अपने पुत्री के साथ अपने संबंधों, उसके विवाह के समय का वर्णन करने के साथ ही पुत्री सरोज के निधन के बाद एक पिता के मन की व्यथा और विलाप को प्रकट किया है।
हमारे अन्य प्रश्न उत्तर :
सरोज के नववधू रूप का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
प्रस्तुत कविता ‘गीत गाने दो मुझे’ दुख एवं निराशा से लड़ने की शक्ति देती है, स्पष्ट कीजिए।