सरोज के नववधू रूप का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।


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सरोज स्मृति’ कविता में सरोज के नववधू रूप का वर्णन :

‘सरोज स्मृति’ कविता में कवि निराला के अनुसार जब उनकी पुत्री सरोज का विवाह हो रहा था तो नववधू की तरह सजी हुई उनकी पुत्री सरोज कामदेव की पत्नी रति के समान सुंदर लग रही थी। जब वह मंद-मंद मुस्कान बिखरेती तो ऐसा लगता था कि बिजली उसके होठों के बीच आकर चमकने लगी हो।
उसका विवाह हो रहा है, इस प्रसन्नता के कारण उसकी आँखें खुशी से चमक रही हैं। रूप और सौंदर्य की बात करें तो वह बिल्कुल अपनी माँ के समान प्रतीत हो रही है। उसके शरीर के अंग-प्रत्यंग से उसका रूप सौंदर्य उच्छवास के रूप में प्रकट हो रहा है।
उसके आँखों में नई नवेली दुल्हन की तरह लज्जा एवं संकोच व्याप्त है। उसकी आँखों की चमक धीरे धीरे उसके होठों पर आ रही है और इस चमक के कारण उसके होंठ कंपकंपाने लगे हैं।
रूप और सौंदर्य की साक्षात जीगती-जागती प्रतिमूर्ति अपनी पुत्री सरोज को देखकर कवि का हृदय प्रसन्नता से भर उठता है।

संदर्भ पाठ :
पाठ ‘सूर्यकांत त्रिपाठी निराला’ – गीत गाने दो मुझे/सरोज स्मृति (कक्षा – 12, पाठ – 2, अंतरा)

‘सरोज स्मृति’ कविता में कवि ने अपनी दिवंगत पुत्री सरोज को केंद्रित करते अपने पुत्री के साथ अपने संबंधों,  उसके विवाह के समय का वर्णन करने के साथ ही पुत्री सरोज के निधन के बाद एक पिता के मन की व्यथा और विलाप को प्रकट किया है।

 

हमारे अन्य प्रश्न उत्तर :

प्रस्तुत कविता ‘गीत गाने दो मुझे’ दुख एवं निराशा से लड़ने की शक्ति देती है, स्पष्ट कीजिए।

‘जल उठो फिर सींचने को’ इस पंक्ति का भाव सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।

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