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प्रस्तुत कविता ‘गीत गाने दो मुझे’ दुख एवं निराशा से लड़ने की शक्ति देती है, स्पष्ट कीजिए।
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कक्षा-12 पाठ-2 अंतरा, गीत गाने दो मुझे/सरोज स्मृति, सूर्यकांत त्रिपाठी निराला

‘गीत गाने दो’ कविता दुख एवं निराशा से लड़ने की शक्ति देती है, क्योंकि कवि का जीवन स्वयं दुख एवं लेकिन संघर्षों से भरा रहा है, लेकिन कवि ने हार नहीं मानी और वह निरंतर जीवन में संघर्ष करते रहेष उन्हें अपने व्यक्तिगत जीवन में अनेक दुखों का सामना करना पड़ा लेकिन फिर भी वह आगे बढ़ते रहे।
इस कविता के माध्यम से कवि ने यही प्रेरणा देने का कार्य किया है कि मनुष्य को अपने जीवन में संघर्ष के लिए हमेशा सदैव तत्पर रहना चाहिए। कवि के अनुसार संघर्ष एकमात्र ऐसा रास्ता है, जिस पर चलकर ही जीवन के कठिन समय और दुःख एवं कष्टों से छुटकारा पाया जा सकता है।
‘जल उठो फिर सींचने’ को इस पंक्ति के माध्यम से कवि संघर्षों से लड़ने और आगे बढ़ने की प्रेरणा ले रहे हैं। इसलिए यह कविता दुख और निराशा से लड़ने की शक्ति देती है।

संदर्भ पाठ :

पाठ ‘सूर्यकांत त्रिपाठी निराला’ – गीत गाने दो मुझे/सरोज स्मृति (कक्षा – 12, पाठ – 2, अंतरा।
इस पाठ में कवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला ने अपने  जीवन की व्यथा का वर्णन ‘गीत गाने दो मुझे’ और ‘सरोज स्मृति’ नामक दो कविताओं के माध्यम से किया है।
‘गीत गाने दो’ कविता में कवि ने ऐसे समय की ओर इशारा किया है, जिसमें संघर्ष करते-करते अच्छे-अच्छे होश वाले अपना होश खो बैठे और उनका जीवन हाहाकार कर उठा।
‘सरोज स्मृति’ कविता में कवि ने अपनी दिवंगत पुत्री सरोज को केंद्रित करते एक पिता के मन की व्यथा और विलाप को प्रकट किया है।

हमारे अन्य प्रश्न उत्तर :

‘जल उठो फिर सींचने को’ इस पंक्ति का भाव सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।

‘ठग-ठाकुरों’ से कवि का संकेत किसकी ओर है?

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