‘जल उठो फिर सींचने को’ कवि निराला द्वारा रचित कविता ‘गीत गाने दो मुझे’ की इस पंक्ति का भाव सौंदर्य इस प्रकार होगा :
कवि ‘निराला’ इस पंक्ति के माध्यम से अपने मन की निराशा और दुःख से उबरने की प्रेरणा स्वयं को तथा अन्य सभी को दे रहे हैं। कवि के अनुसार मनुष्य को अपनी निराशा और दुख से उबरने के लिए हमेशा प्रयास करते रहना चाहिए।
कविता की इस पंक्ति के कवि माध्यम से अपने जीवन के दुःख एवं कष्ट से निराश व्यक्तियों के मन में दुःखों से लड़ने के लिए संघर्ष करने की प्रेरणा देकर उन्हें जीवन में आगे बढ़ने का मार्ग सुझा रहे हैं। यह कविता जीवन से निराश लोगों के मन में एक आशा जगाती है। यही इस पंक्ति का भाव है।
संदर्भ पाठ :
पाठ ‘सूर्यकांत त्रिपाठी निराला’ – गीत गाने दो मुझे/सरोज स्मृति (कक्षा – 12, पाठ – 2, अंतरा।
इस पाठ में कवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला ने अपने जीवन की व्यथा का वर्णन ‘गीत गाने दो मुझे’ और ‘सरोज स्मृति’ नामक दो कविताओं के माध्यम से किया है।
‘गीत गाने दो’ कविता में कवि ने ऐसे समय की ओर इशारा किया है, जिसमें संघर्ष करते-करते अच्छे-अच्छे होश वाले अपना होश खो बैठे और उनका जीवन हाहाकार कर उठा।
‘सरोज स्मृति’ कविता में कवि ने अपनी दिवंगत पुत्री सरोज को केंद्रित करते एक पिता के मन की व्यथा और विलाप को प्रकट किया है।
हमारे अन्य प्रश्न उत्तर :
‘ठग-ठाकुरों’ से कवि का संकेत किसकी ओर है?
कंठ रुक रहा है, काल आ रहा है, यह भावना कवि के मन में क्यों आई?