कंठ रुक रहा है, काल आ रहा है, यह भावना कवि के मन में क्यों आई?


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कंठ रुक रहा है, काल आ रहा है, कवि के मन में यह भावना इसलिए आई, क्योंकि कवि सूर्यकांत का जीवन बहुत संघर्ष पूर्ण बीता था।
कवि ने अपने जीवन में कठिन संघर्षों का सामना किया। उनके जीवन में अपार दुःख एवं वेदना का समावेश रहा। उनके जीवन में आने वाले दुःख और वेदना ने निरंतर उनका पीछा किया और कभी उनका पीछा करना नहीं छोड़ा।
इसके अलावा कवि ने अपने आसपास शोषक वर्ग द्वारा वंचितों के अत्याचार और शोषण को भी देखा था जब कभी कवि ने इस अत्याचार के खिलाफ अपनी आवाज उठाने की कोशिश की उसका विरोध किया, तो कवि की आवाज को दबा दिया गया। इन सभी स्थितियों के कारण कवि की स्थिति मरणासन्न हो गई है और वह विरोध करने की स्थिति में नहीं रह गया है। इन सब बातों से कवि का हृदय दुःख एवं वेदना से भरा रहा। उनका गला दुःख से भरा होने के कारण अपनी वेदना को व्यक्त नही कर पा रहा है। इसी कारण कवि के मन में यह भावना आई।

संदर्भ पाठ :
पाठ ‘सूर्यकांत त्रिपाठी निराला’ – गीत गाने दो मुझे/सरोज स्मृति (कक्षा – 12, पाठ – 2, अंतरा।
इस पाठ में कवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला ने अपने  जीवन की व्यथा का वर्णन ‘गीत गाने दो मुझे’ और ‘सरोज स्मृति’ नामक कविता के माध्यम से किया है।
‘गीत गाने दो’ कविता में कवि ने ऐसे समय की ओर इशारा किया है, जिसमें संघर्ष करते-करते अच्छे-अच्छे होश वाले अपना होश खो बैठे और उनका जीवन हाहाकार कर उठा।
‘सरोज स्मृति’ कविता में कवि ने अपनी दिवंगत पुत्री सरोज को केंद्रित करते एक पिता के मन की व्यथा और विलाप को प्रकट किया है।

 

हमारे अन्य प्रश्न उत्तर :

‘मैं सबसे छोटी होऊँ’, पाठ के आधार पर अपनी ‘माँ’ की प्रशंसा में पाँच वाक्य लिखे।​

काव्य सौंदर्य स्पष्ट कीजिए। हेम कुंभ ले उषा सवेरे, भरती ढुलकाती सुख मेरे, मदिर ऊँघते रहे जब जगकर, रजनी भर तारा।

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