‘खोता कुछ भी नहीं यहाँ पर केवल जिल्द बदली पोथी।’ इस पंक्ति में अलंकार इस प्रकार है :
‘खोता कुछ भी नहीं यहाँ पर केवल जिल्द बदली पोथी।’
अलंकार : अन्योक्ति अलंकार
कारण
इस पंक्ति में ‘अन्योक्ति अलंकार’ इसलिए है क्योंकि उस पंक्ति में उपमेय के माध्यम से उपमान की प्रशंसा की गयी है यानि इस पंक्ति में उपमेय के माध्यम से ही उपमान को प्रस्तुत कर दिया गया है तथा उपमेय को ही उपमान बनाकर प्रस्तुत कर दिया गया है।
अन्योक्ति अलंकार क्या है?
‘अन्योक्ति अलंकार’ की परिभाषा के अनुसार अन्योक्ति अलंकार वह अलंकार होता है, जो किसी प्रस्तुत प्रशंसा के संदर्भ में प्रयोग किया जाता है। इस अलंकार में उपमान के माध्यम से उपमेय़ की प्रशंसा की जाती है।
‘अन्योक्ति अलंकार’ में उपमान का अप्रस्तुत रहता है तथा स्वयं उपमेय ही उममान के रूप में प्रस्तुत हो जाता है यानी किसी की प्रशंसा की जाती है।
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