देवसेना की हार या निराशा के मुख्य कारण इस प्रकार हैं :
देवसेना सम्राट स्कंदगुप्त से प्रेम करती थी। वह एक राजकुमारी थी और उसने सम्राट स्कंदगुप्त को प्रेमी रूप में प्राप्त करने के लिए बहुत प्रयास किए, लेकिन वह अपने प्रयास में असफल सिद्ध हुई। सम्राट स्कंदगुप्त उससे प्रेम नहीं करता था।
प्रेम में असफल होने के कारण उसके मन में घोर निराशा व्याप्त हो गई थी। यह घोर निराशा प्रेम में हुई उसकी हार के कारण उत्पन्न हुई है। प्रेम में मिली हार के अलावा गया अपने पिता एवं भाई को भी खो चुकी है। उसके पिता की मृत्यु हो चुकी है तथा भाई भी युद्ध में वीरगति को प्राप्त हो चुका है।
इस तरह वह संसार में नितांत अकेली हो गई है और जगह-जगह जाकर भीख मांग कर अपना गुजारा कर रही है। पिता और भाई की मृत्यु के बाद स्कंद गुप्त का प्रेम ही उसके लिए एकमात्र सहारा था, लेकिन उसके प्रेम ने भी उसे स्वीकार नहीं किया और उसे ठुकरा दिया। यही देवसेना की हार और निराशा के मुख्य कारण हैं।
संदर्भ पाठ :
जयशंकर प्रसाद – देवसेना का गीत/कार्नोलिया का गीत (कक्षा – 12, पाठ – 1, अंतरा)
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