प्रातः भ्रमण के लाभ पर बातचीत करते हुए दो मित्रो का संवाद इस प्रकार होंगे :
महेश : योगेश तुम जानते हो कि प्रातः भ्रमण कितना अधिक लाभकारी होता है?
योगेश : हाँ, मैं जानता हूँ। मैं तो रोज सुबह-सुबह अपने घर के पीछे बने बगीचे में प्रातः भ्रमण को जाता हूँ।
महेश : अच्छा, यह तो बहुत अच्छी बात है। मैंने भी कल से प्रातः भ्रमण को जाना शुरू किया है। इससे पहले मुझे प्रातः भ्रमण के लाभ मालूम नहीं थे।
मुकेश : अच्छा, मुझे ऐसा पता नहीं था, नहीं तो मैं तुम्हें प्रातः भ्रमण का लाभ बताता।
महेश : हाँ, कल मेरे डॉक्टर ने मुझे प्रातः भ्रमण के लाभ बता कर रोज प्रातः भ्रमण करने को कहा था। तुम भी मुझे कुछ इसके बारे में बताओ ताकि मेरी जानकारी पढ़े।
योगेश : प्रातः भ्रमण यानि सुबह-सुबह सैर करने से हमारा शरीर स्वस्थ रहता है। सुबह सुबह जब हम बगीचे में डालते हैं तो ताजी-ताजी हमार हमारे फेफड़ों को स्वस्थ करती है।
महेश : अच्छा और क्या लाभ हैं?
योगेश : सुबह हमें कम से कम सुबह आधे घंटे तक धीरे-धीरे या थोड़ी मध्यम गति से टहलना चाहिए जिससे हमारे शरीर की गतिविधि बढ़ती है और शरीर के अंगो का पर्याप्त व्यायाम हो जाता है।
महेश : अच्छा, यह तो यही डॉक्टर ने मुझे बताया था।
योगेश : प्रातः काल बगीचे आदि में भ्रमण करना एक हल्के-फुल्के व्यायाम से कम नहीं है, जो लोग बहुत कठोर व्यायाम नहीं कर सकते, उनके लिए प्रातः काल भ्रमण स्वस्थ रहने का सबसे सरलतम उपाय है।
महेश : हाँ, डॉक्टर ने यह भी कहा था कि प्रातः भ्रमण एक ऐसा व्यायाम है जो हम पूरे जीवन अपना सकते हैं। योगेश बिल्कुल सही कहा। बहुत कठोर व्यायाम लंबे समय तक नहीं कर सकते, लेकिन प्रातः भ्रमण हम पूरे जीवन करते रहे तो हमें कोई भी बीमारी हमारे पास नहीं फटकेगी।
महेश : मैंने तो काल के भ्रमण के इतने सारे लाभ जानकर पूरे जीवन इसका पालन करने का निर्णय ले लिया है।
योगेश : तुमने बहुत अच्छा निर्णय लिया।
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