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संस्कृति को ‘महीन चीज़’ कहने से लेखक सिद्ध करना चाहते हैं कि संस्कृति है -(क) अत्यंत तुच्छ (ख) अति महत्वहीन (ग) अत्यधिक उपयोगी (घ) अति सर्वश्रेष्ठ
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उपयोगी, महीन चीज़, संस्कृति

संस्कृति को ‘महीन चीज़’ कहने से लेखक सिद्ध करना चाहते हैं कि संस्कृति है –

(क) अत्यंत तुच्छ
(ख) अति महत्वहीन
(ग) अत्यधिक उपयोगी
(घ) अति सर्वश्रेष्ठ

संस्कृति को ‘महीन चीज़’ कहने से लेखक सिद्ध करना चाहते हैं कि संस्कृति है-

इसका सही विकल्प होगा…

(ग) अत्यधिक उपयोगी
विस्तार से समझें..

संस्कृति को महीन चीज है, यह कहकर यह सिद्ध करना चाहता है कि संस्कृति अत्यधिक उपयोगी चीज है। संस्कृति और सभ्यता दो अलग-अलग चीजें हैं और दोनों का अर्थ भी अलग-अलग है। जहां सभ्यता एक बाहरी गुण है, तो संस्कृति एक आंतरिक गुण हैं। सभ्यता भौतिकता का सूचक है। संस्कृति आंतरिक व्यवहार और आचरण का सूचक है।

जिस देश के पास जितनी अधिक संपत्ति है, अच्छे अच्छे मकान है, अच्छा भोजन है, अच्छी पोशाक है, मोटर है, हवाई जहाज है, गाड़ी है, सब तरह के सुख-सुविधा के साधन है वह देश उतना ही अधिक सभ्य माना जाता है, लेकिन संस्कृति इन सबसे अधिक अलग चीज है।

संस्कृति एक महीन चीज है। संस्कृति मोटर बनाने की, मकान बनाने की अथवा बड़ी-बड़ी संपत्ति अर्जित करने की कला नहीं है। संस्कृति एक गुण है, यह विनम्रता और विनय का सूचक है। संस्कृति हमारे अंदर छिपा हुआ गुण होता है, जो हमारे आचरण को प्रकट करता है, इसलिए लेखक ने संस्कृति को महीन कहकर उसके महत्व को स्पष्ट करने की कोशिश की है।

 

इन्हें भी देखें…

मेरा प्रिय फूल गुलाब

“मकान के लिए नक्शा पसंद करना हमारी संस्कृति का परिचायक है।’ ऐसा इसलिए कहा गया है क्योंकि-(क) घर हमारी सभ्यता की पहचान है। (ख) अन्य लोगों से जोड़ने का माध्यम है। (ग) नक्शे के बिना मकान बनाना कठिन है। (घ) हमारी सोच-समझ को उजागर करता है।”

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