समाज में व्याप्त आपराधिक प्रवृत्तियों की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए जनसत्ता के सम्पादक को पत्र का प्रारूप इस प्रकार होगा :
दिनाँक : 04 अक्टूबर 2022
सेवा में,
सम्पादक महोदय,
जनसत्ता,
नई दिल्ली – 110001
सम्पादक महोदय,
मेरा नाम सुनील अरोड़ा है। मैं आपके समाचार पत्र जनसंख्या का नियमित पाठक हूँ और आपके समाचार पत्र की समाचार शैली से प्रभावित हूँ। मैं अपने आपके पत्र के माध्यम से अपने कुछ विचार व्यक्त करना चाहता हूँ।
आजकल हमारी समाज में आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। लोग अधिक से अधिक पैसा कमाने के लिए किसी भी तरह के अपराध करने से नहीं चूक रहे हैं। समाज में आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों की संख्या निरंतर बढ़ती ही जा रही है। आपराधिक प्रवृत्ति ना केवल सामाजिक मूल्यों के पतन की ओर संकेत करती है, बल्कि भविष्य के लिए भी एक चिंता पैदा करती है। हमारा समाज किस दिशा में जा रहा है, यह बेहद चिंतनीय है। जिधर देखो सबमें जल्दी से जल्दी अमीर बनने और पैसा कमाने की होड़ लगी हुई है। इसके लिए वह किसी का भी नुकसान करने से नहीं चूकते और ना ही कोई अपराध करने में संकोच करते हैं।
आज समाज के प्रबुद्ध और विचारशील वर्ग के लोगों को यह बैठकर चिंतन करना चाहिए और समाज की आपराधिक प्रवृत्ति को दूर करने के लिए कोई ठोस उपाय करना चाहिए। लोगों में जागरूकता पैदा करना चाहिए। धन ही सब कुछ नहीं आचार, विचार, आचरण, स्वभाव, ईमानदारी भी जीवन के महत्वपूर्ण गुण है, यह संस्कार डालने चाहिए ताकि लोगों में अपराधिक प्रवृत्ति विकसित ना हो।
धन्यवाद,
एक पाठक,
सुनील अरोड़ा,
ए-41, निर्मल विहार,
दिल्ली – 110056
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