अगम चेतना की घाटी, कमजोर पड़ा मानव का मन, ममता की शीतल छाया में, होता कटुता का स्वयं शमन। ज्वालायें जब धुल-धुल जाती हैं, खुल खुल जाते हैं मुदे नयन, होकर निर्मलता में प्रशांत, बहता प्राणों का क्षुब्घ पवन संकट। संकट में यदि मुसका ना सको, भय से कातर हो मत रोओ, यदि फूल नहीं बन सकते हो, कांटे कम से कम मत बोओ।
मानव मन की कमजोरी के क्या कारण हैं ?
उत्तर : मानव मन की कमजोरी के मुख्य कारण चेतना का अभाव है।
ज्वालाएं किसके प्रतीक के रूप में हैं?
उत्तर : ज्वालाएं अज्ञानात का प्रतीक हैं।
उत्तेजित मन कब शान्त होता हैं ?
उत्तर : उत्तेजित मन तब शांत हो जाता है, जब उसे प्रेम-स्नेह की शीतल छाया में बैठने का अवसर प्राप्त होता है।
कठिनाई के क्षण हमें क्या करना चाहिए ?
उत्तर : कठिनाई के क्षण हमें भय से घबराना नही चाहिए और ना ही संकट के समय रोना चाहिए।
फूल व कांटे बोने से क्या आशय है ?
उत्तर : फूल व कांटे बोले से आशय है, कि फूल खुशी और प्रेम का प्रतीक है, कांटे दुख एवं कष्ट का प्रतीक हैं। यदि किसी को खुशी न दे सको तो उसे किसी तरह का दुख भी न दो।
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