‘सरकारी अस्पतालों में निर्धन व्यक्ति की स्थिति’ बहुत ही दयनीय होती है | निर्धन लोगों सब हल्के में लेते है , उन्हें अच्छे से नहीं पूछा जाता है | उनके लिए पहले से राय बना ली जाती है कि यह लोग कुछ कर तो नहीं सकते है , इसी कारण उन्हें कोई अहमियत नहीं दी जाती है |
बीमार होने पर व्यक्ति में इतनी ताकत भी नहीं रहती कि वह ठीक से खड़ा भी ही सके , लेकिन सरकारी हस्पतालों में आने वाले गरीब मरीजों को इलाज के लिए इंतजार के रूप में घंटों की जंग लड़नी पड़ती है |खासकर रविवार वाले दिन तो हस्पताल में बहुत ही बुरा हाल होता है |
कई बार तो इंतजार इतना लंबा हो जाता है कि मरीज़ को अपनी जान से ही हाथ धोना पड जाता है | निर्धन लोगों के परिजन तो ज़मीन पर ही अपना बिस्तर लगाकर सोते है | हस्पताल में एक ही बिस्तर पर दो – दो मरीज़ पड़े होते हैं |
हमारे अन्य प्रश्न उत्तर :