बुजुर्ग और बच्चों को एक दूसरे से क्या जाने और सीखने को मिलता है


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“बच्चे मन के सच्चे” आप सब ने तो यह बात सुनी ही होगी | बच्चों से हम सबसे बड़ी बात सीख सकते हैं वह है ईमानदारी |

हम बच्चों से चाहें तो बहुत कुछ सीख सकते है लेकिन उसके लिए हमें अपने अहंकार को छोड़ना होगा |

चिन्ता ना करना :- बच्चे हमें सिखाते है कि हमें हमेशा खुश रहना चाहिए , व्यर्थ की चिन्ता  नहीं करनी चाहिए | बच्चे नया तो बीते हुए कल के बार में सोचते हैं और ना ही आने वाले कल के बारे में वह तो बस आज में जीते हैं | सबसे बड़ी बात जो वह हमें सिखाते हैं वह यह है कि लोग क्या सोचेंगे, लोग क्या कहेंगे , इसकी फिक्र ना करना |

भेदभाव की भावना :- हर एक से निस्वार्थ दोस्ती करना और निस्वार्थ प्रेम से रहना सिखाते है | बच्चे कभी – भी भेदभाव नहीं करते चाहे वह कोई भी हो , गरीब हो या अमीर , बड़ा हो या छोटा , चाहे वह किसी भी जाति या धर्म का क्यों ना हो | वह हमेशा इतना मीठा बोलते हैं की मन करता है कि बस उनकी बातें सुनते रहें |

खुशी से रहना :- हालत चाहे कैसे भी हो बच्चे हर पल का आनंद उठाते हैं और खुश रहते हैं | बच्चे हमेशा मुसकुराते रहते हैं और उन्हें देखकर कोई भी हो वह मुसकुरा देता है | बच्चे हमेशा ऊर्जा से भरे रहते हैं | वह सारा दिन व्यस्त रहते हैं खेल – कूद में लगे रहते है |

सच्चे और दयालु :- बच्चों में सबसे बड़ी खासियत होती है कि वह बुरी से बुरी बात को जल्दी भूल जाते हैं , माफ कर देना और माफी माँग लेना यह छोटी सी बात वह हमें सीखा देते हैं | बच्चों का दिल इतना सच्चा होता है कि वह हमेशा दूसरों के बारे में बिना स्वार्थ के सोचता है |

धोखेबाजी :- बच्चे कभी भी धोखेबाजी नहीं करते क्योंकि वह जानते ही नहीं है की धोखा क्या होता है | वह तो सच्चे मन से हर काम करते हैं बिना किसी नुकसान और फायदे की चिन्ता के |

बुजुर्गों से हमें बहुत कुछ सीखने को मिलता है | आज के समय में परिवार संयुक्त ना रह कर एकांकी परिवार हो गए है क्योंकि लोगों को बड़े बुजुर्गों का उनके मामले में बात करना उचित नहीं लगता और उन्हें घर के बुजुर्गों के साथ रहना पसंद नहीं उन्हें लगता है कि वह उनकी आज़ादी पर अंकुश लगा रहे हैं और यही कारण है कि उनके बच्चे समझ ही नहीं पाते कि दादा-दादी , नाना-नानी का प्यार क्या होता है |

आजकल अधिकतर दंपति नौकरी पेशे वाले होते हैं इस कारण बच्चे घर पर अकेले रहते हैं और अकेलापन उन्हें चिड़चिड़ा बना देता है वह लोगों से किस तरह बरताव करना चाहिए नहीं सीख पाते हैं |

लेकिन अगर घर में बुजुर्ग हो तो वह बच्चों को बहुत सी बाते सिखाते है जैसे जब घर पर कोई मेहमान आए तो उन्हें प्रणाम करना चाहिए और उनके चरण स्पर्श करने चाहिए | सबसे पहले उन्हें बैठने को कहना चाहिए फिर चाय पानी पूछना चाहिए |

जब घर में कोई छोटा बच्चा आ जाए तो उसे प्यार से अपने साथ खिलाना चाहिए उससे प्यार से बात करनी चाहिए | हर रोज सुबह और श्याम घर में पूजा – पाठ करना चाहिए |

वह हमें सीखते हैं कि हमें बाहर का क्या खाना चाहिए और कितना ताकि हमें अस्पताल ना जाना पड़े | वह हमें अच्छे संस्कार देते हैं ताकि हम अपनी आने वाली पीढ़ी को भी यही संस्कार दे सकें |

वह हमें सबसे मिलकर रहना सिखाते हैं | संयुक्त परिवार के फायदे बताते हैं और अपने माता – पिता का आदर करना सिखाते हैं |

 

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नैनीताल जाने के लिए मां से अनुमति पत्र हिंदी में​

माननीय सचिव, महाराष्ट्र राज्य माध्यमिक व उच्चमाध्यमिक शिक्षण मंडळ पुणे । सोहम/सीमा भास्कर, लिंक रोड, जलगाँव 110, लिपिक (क्लर्क) के पद की नौकरी के संबंध में आवेदन पत्र लिखिए।

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