बड़े भाई साहब का रौब-दाब खत्म इसलिए हो गया था क्योंकि सालाना इम्तिहान में बड़े भाई साहब फेल हो गए और छोटा भाई यानि लेखक पास हो गया और अपने दर्जे में प्रथम आया था। इस तरह लेखक और बड़े भाई साहब दोनों के बीच 2 साल का कक्षा अंतर रह गया था।
अब बड़े भाई साहब थोड़ा नरम पड़ गए थे और लेखक को पहले की तरह नहीं डाँटते थे, लेकिन वे दुखी और उदास रहने लगे थे। अब छोटे भाई को बड़े भाई साहब का इतना अधिक डर नहीं रह गया था, इसीलिए उनका रौब-दाब खत्म हो गया था। वह ज्यादा आजादी से खेलने कूदने लगा था और उसने सोचा था कि बड़े भाई साहब अगर उसे टोकेंगे तो वह उसे साफ कह देगा कि आपने कौन सा तीर मार दिया। इतनी मेहनत करने के बाद भी आप फेल हो गए जबकि मैं पहले दर्जे में पास हुआ।
संदर्भ :
(‘बड़े भाई साहब’ पाठ, मुंशी प्रेमचंद, कक्षा – 10, पाठ -10)
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