चुप रहने के, यारों बड़े फायदे हैं, जुबाँ वक्त पर खोलना सीख लीजे । भावार्थ ?


Updated on:

संदर्भ : कवि ‘रमेश दत्त शर्मा’ द्वारा लिखी गई ‘जरा प्यार से बोलना सीख लीजे’ शीर्षक कविता की इन पंक्तियों का भावार्थ इस प्रकार होगा :चुप रहने के, बड़े फायदे हैं यारों, जुबाँ वक़्त पर बोलना सीख लीजे।भावार्थ : कवि कहता है कि किसी भी बात पर तुरंत प्रतिक्रिया देना उचित नहीं है। किसी भी बात को कहने से पहले अपनी बात पर भली-भांति विचार कर लेना चाहिए और समय उचित समय आने पर ही अपनी बात कहनी चाहिए। इसलिये चुप रहकर और उचित समय पर अपनी बात कहने से लाभ ही होता है।

व्याख्या :
कभी-कभी ऐसा होता है कि हम कोई बात गलत तरीके से समझ लेते हैं और हम तुरंत वैसी ही प्रतिक्रिया देते हैं, जिससे वह बात बिगड़ जाती है और हम गलत सिद्ध होते हैं। सामने वाले का दिल भी दुखता है।
इसलिए किसी भी बात का सार समझ कर समय पर उसकी प्रतिक्रिया देनी चाहिए, ताकि सही समय पर सही जवाब दे सकें। उचित समय पर उचित बात कहने से बात बिगड़ती नहीं।
किसी को के मुंह पर तुरंत जवाब दे देने से हो सकता है, सामने वाले को दुख पहुंचे। इसलिए यथासंभव चुप रहना चाहिए और हमेशा सोच समझ कर जवाब देना चाहिए।

पाठ संदर्भ :
हिंदी सुलभभारती, कक्षा 8, पाठ 6, ‘जरा प्यार से बोलना सीख लीजे’, कवि रमेश दत्त शर्मा

 

हमारे अन्य प्रश्न उत्तर :

हाइड्रोजन को क्यों लग रहा था कि मनुष्य अपने पैरों पर स्वयं कुल्हाड़ी मार रहा है?

कवि के जीवन में सबसे बड़ी त्रासदी क्या थी? ‘आत्मकथ्य’ कविता के आधार पर बताएं।

Our Score
Click to rate this post!
[Total: 0 Average: 0]

2 thoughts on “चुप रहने के, यारों बड़े फायदे हैं, जुबाँ वक्त पर खोलना सीख लीजे । भावार्थ ?<div class="yasr-vv-stars-title-container"><div class='yasr-stars-title yasr-rater-stars' id='yasr-visitor-votes-readonly-rater-1c14450820266' data-rating='0' data-rater-starsize='16' data-rater-postid='2625' data-rater-readonly='true' data-readonly-attribute='true' ></div><span class='yasr-stars-title-average'>0 (0)</span></div>”

Leave a Comment