कवि के जीवन की सबसे बड़ी त्रासदी यह रही है कि कविने ने जिसको चाहा उसको प्राप्त नहीं कर पाया।
कवि की प्रेयसी उसे नहीं मिल पाई और वह उसकी यादों के सहारे ही अपने शेष जीवन को विदा लेना चाहता है। कवि अपनी प्रेयसी के साथ बिताए पलों को याद करके ही अपना जीवन व्यतीत कर रहा है। कवि के लिए वे यादें ही उनके जीवन का एकमात्र सहारा है। कवि के जीवन की यही त्रासदी रही है कि उसने अपनी प्रेयसी अर्थात उन सुखों को जब भी गले लगाना चाहा तब तक उसकी वह प्रेयसी मुस्कुरा कर भाग गई अर्थात वे सुख उससे दूर हो गये।
यहां पर कवि का प्रेयसी से तात्पर्य जीवन में सफलता एवं सुखों से है, जो कवि को कभी प्राप्त नही हो पाये। जब भी जब उसे सफलता की झलक मात्र दिखाई थी और उसने सफलता को अपनाना चाहा तो वह सफलता उसे उससे दूर होती गई।
कवि के जीवन की यही त्रासदी रही है, उसे अपनों से ही धोखा और छल प्राप्त हुआ है।
संदर्भ :
‘आत्मकथ्य’ (आत्मकथा) कविता, जयंकर प्रसाद, कक्षा – 10, पाठ – 4
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