कौए को डूबता देखकर हंस का उसे बचाना बिल्कुल उचित था, क्योंकि हंस कौए को केवल सबक सिखाना चाहता था। कौवा जब पानी में गिरकर डूबने लगा तो उसकी जान जा सकती थी।
हंस स्वभाव के सज्जन होते हैं। वह कौए की तरह धूर्त नहीं होते इसलिए जहाँ कौए ने स्वभाव के अनुसार किया वही हंस को भी अपना स्वभाविक आचरण करना था।
इसीलिए जब कौआ पानी में गिर गया और डूबने वाला था तो हंस को दया आ गई और उसने कुर्ती से कौए के पास पहुंचकर उसको पानी से निकालकर उसे अपनी पीठ लिया बैठा लिया और उसकी जान बचा ली।
यहां पर हंस ने अपने प्राकृतिक स्वभाव के अनुसार आचरण किया था, इसलिए कोए को डूबता देख हंस को बचना बिल्कुल उचित था।
संदर्भ :
मधुप, हिंदी, पाठमाला, कौआ और हंस
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